भजन - शरद -निशि -निशीथे चाँदकी ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


शरद-निशि-निशीथे चाँदकी रोशनाई ।

सघन-बन-निकुञ्जे कान्ह बंसी बजाई ॥

रति, पति, सुत, निद्रा साइयाँ छोड़ भागी,

मदन-शिरसि भूयः क्या बला आन लागी ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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