ॐ इं यां आपः ॐ
विनियोग :
अस्य इन्द्रमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, पंक्तिछन्दः, इन्द्रोदेवता, ईं बीजं, आप शक्तिः, मम चतुर्वर्गसिद्धयर्थे रुद्राक्षधारणार्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यास :
ॐ ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसी ॥१॥
ॐ पंक्ति छन्दसे नमो मुखे ॥२॥
ॐ इन्द्रौ देवतायै नमो ह्रुदि ॥३॥
ॐ ईं बीजाय नमो गुहये ॥४॥
ॐ आप शक्तये नमः पादयोः ॥५॥
करन्यास :
ॐ ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः ॥१॥
ॐ ईं तर्जनीभ्यां स्वाहा ॥२॥
ॐ यां मध्यमाभ्यां वषट् ॥३॥
ॐ आप अनामिकाभ्यां हुम् ॥४॥
ॐ ॐ कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् ॥५॥
ॐ ई यां आप ॐ करतलकरपृष्ठाभ्यां फट् ॥६॥
अंगन्यास :
ॐ ॐ ह्रुदयाय नमः ॥१॥
ॐ ईं शिरसे स्वाहा ॥२॥
ॐ यां शिखायै वषट् ॥३॥
ॐ आप कवचाय हुम् ॥४॥
ॐ ॐ नेत्रत्रयाय वौष्ट ॥५॥
ॐ ईं यां आप ॐ अस्त्राय फट ॥६॥
ध्यान :
पीतवर्णं सहस्त्राक्षं वज्रपद्मधरं विभुम् ।
सर्वालंकारसंयुक्तं नौमीन्द्रादिकमीश्वरम् ।