वह्लीव्रत ( विष्णुधमोंत्तर ) -
यह चैत्र कृष्ण अमावस्याको किया जाता है । इसमें परविद्धा अमा लेनी चाहिये । व्रतके पहले दिन ( चैत्र कृष्ण चतुर्दशीको ) नित्यके स्त्रानादिसे निवृत्त होकर अग्निदेवकी सुवर्णनिर्मित्त मूर्तिका गन्ध - पुष्पादिसे पूजन करे और अमावस्याको ' ॐ अग्नये स्वाहा ' इस मन्तसे तिल, घी और शर्कराका हवन करे । इस प्रकार वर्षपर्यन्त करनेके पश्चात् वाह्लिकी मूर्ति ब्राह्मणको दे दे ।