दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !
ओ जी ! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी
आप बिना मोहे कल ना पड़त है जी !
ओ जी ! तड़पत हूँ दिन रैन नैन में नीर ढले छै जी
गुण तो प्रभूजी मों में एक नहीं छै जी !
ओ जी ! अवगुण भरे हैं अनेक, औगुण म्हाँरा माफ करीज्यो जी
भगत बछल प्रभु बिड़द कहायो जी !
ओ जी ! भगतनके प्रतिपाल, सहाय आज म्हाँरी बेगि करज्यो जी
दासी मीरा की विनती छै जी !
ओ जी ! आदि अन्त की ओ लाज, आज म्हारी राख लीज्यो जी !