देखो री एक बाला जोगी, द्वार हमारे आया है री ॥ टेर॥
बघम्बरका ओढ़ दुशाला, शेषनाग लपटाया है री ।
माथे वाके तिलक चन्द्रमा, जोगी जटा बढ़ाया है री ॥१॥
ले भिक्षा निकली नन्द रानी, मोतियन थाल भराया है री ।
जा योगी अपने आश्रमको, मेरा कान्ह डराया है री ॥२॥
ना चहिये तेरे हीरा मोती, ना चहिये तेरी माया है री ।
तेरे लालके दरश दिखा, साधू काशीसे आया है री ॥३॥
ले बालक निकली नन्दरानी, योगी दर्शन पाया हैरी ।
सात बेर परिक्रमा करके, सिंगी नाँद बजाया है री ॥४॥
सूरदास बैकुण्ठधाममें, धन्य यसोमति माया है री ।
तीन लोकके कर्ता हर्ता, तेरी गोदी आया है री ॥५॥