लीला गान - ग्वालिन मत पकड़े मोरी ...

’लीलागान’में भगवल्लीकी मनोमोहिनी मनको लुभाती है ।


ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,

मोरी दूखे नरम कलैया ॥ टेर॥

तेरो मैं माखन नहीं खायो,

अपने घरके धोखेमें आयो ।

मटकी ते नहीं हाथ लगायो, हाथ छोड़ दे

हा-हा खाऊँ, तेरी लेऊँ बलैया ॥१॥

खोल किवड़िया तू गई पानी,

भूल करी तूँ अब पछतानी ।

मो सँग कर रही ऐचातानी, झूठो नाम

लगायो तैने मेरो, घरमें घुसी बिलैया ॥२॥

तोको नेक दया नहीं आवे

मो सूधेको दोष लगावे ।

घर में बुलाके चोर बनावे, हाथ छोड़ दे

देरी होत है, दूर निकसि गई गैया ॥३॥

आज छोड़ दे सौगन्ध खाऊँ,

फेर न तेरे घरमें आऊँ ।

नित तेरी गागर उचकाऊँ, हाथ छोड़ दे

देरी होत है, बोल रह्यो बलभैया ।

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Last Updated : January 22, 2014

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