ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलैया ॥ टेर॥
तेरो मैं माखन नहीं खायो,
अपने घरके धोखेमें आयो ।
मटकी ते नहीं हाथ लगायो, हाथ छोड़ दे
हा-हा खाऊँ, तेरी लेऊँ बलैया ॥१॥
खोल किवड़िया तू गई पानी,
भूल करी तूँ अब पछतानी ।
मो सँग कर रही ऐचातानी, झूठो नाम
लगायो तैने मेरो, घरमें घुसी बिलैया ॥२॥
तोको नेक दया नहीं आवे
मो सूधेको दोष लगावे ।
घर में बुलाके चोर बनावे, हाथ छोड़ दे
देरी होत है, दूर निकसि गई गैया ॥३॥
आज छोड़ दे सौगन्ध खाऊँ,
फेर न तेरे घरमें आऊँ ।
नित तेरी गागर उचकाऊँ, हाथ छोड़ दे
देरी होत है, बोल रह्यो बलभैया ।