लीला गान - नाचे नन्दलाल , नचावे हर...

’लीलागान’में भगवल्लीकी मनोमोहिनी मनको लुभाती है ।


नाचे नन्दलाल, नचावे हरिकी मैया ॥नाचे॥

मथुरामें हरि जन्म लियो है, गोकुलमें पग धरो री कन्हैया ॥

रुनुक-झिनुक पग नूपुर बाजे ठुमुक-ठुमुक पग धरो री कन्हैया ॥

धोतो न बाँधे जामो न पहिरे, पीताम्बरको बड़ो री पहरैया ॥

टोपो न ओढ़े लाला फेंटा न बाँधे, मोर-मुकुटको बड़ो री ओढ़ैया ॥

शाला न ओढ़ें दुशाला न ओढ़े, काली कमरियाको बड़ो री ओढ़ैया ॥

दूध न भावे याने दही न भावे, माखन मिसरीको बड़ो री खवैया ॥

खेल न खेले खिलौना न खेले, बंसरीको लाला बड़ो री बजैया ॥

चन्द्रसखी भज बाल कृष्णछबि, हँसहँस कण्ठ लगावे हरिकी मैया ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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