नाचे नन्दलाल, नचावे हरिकी मैया ॥नाचे॥
मथुरामें हरि जन्म लियो है, गोकुलमें पग धरो री कन्हैया ॥
रुनुक-झिनुक पग नूपुर बाजे ठुमुक-ठुमुक पग धरो री कन्हैया ॥
धोतो न बाँधे जामो न पहिरे, पीताम्बरको बड़ो री पहरैया ॥
टोपो न ओढ़े लाला फेंटा न बाँधे, मोर-मुकुटको बड़ो री ओढ़ैया ॥
शाला न ओढ़ें दुशाला न ओढ़े, काली कमरियाको बड़ो री ओढ़ैया ॥
दूध न भावे याने दही न भावे, माखन मिसरीको बड़ो री खवैया ॥
खेल न खेले खिलौना न खेले, बंसरीको लाला बड़ो री बजैया ॥
चन्द्रसखी भज बाल कृष्णछबि, हँसहँस कण्ठ लगावे हरिकी मैया ॥