कठ (कठिओई) (गणराज्य) n. एक गणराज्य (सिकंदर आक्रमणकालीन - उत्तर पश्चिम भारतीय लोकसमूह एवं गणराज्य)
जो पंजाब में इरावती नदी के पूर्वभाग में बसा हुआ था । आधुनिक अमृतसर (तरनतारन) प्रदेश में संभवतः इस गणराज्य के लोगों का निवास था । इन लोगों की राजधानी सांगल नगरी में थी । पाणिनि के अष्टाध्यायी में वाहीक देश की राजधानी के नाते से सांकल नामक ग्राम का निर्देश प्राप्त है, जो संभवतः यही होगा
[पा. सू. ४.२.७५] । कठोपनिषद् का निर्माण संभवतः इसी जाति के तत्त्वचिंतको के द्वारा हुआ था । ग्रीक लेखकों के अनुसार इन लोगों में यह रिवाज था कि, नवजात बच्चों में जो भी बच्चे कुरुप एवं निर्बल हो, वे राजदूतों के द्वारा पकडवा कर मरवा दिये जाते थे । कठोपनिषद् मे नचिकेतस् नामक बालक को उसके पिता द्वारा यम को प्रदान करने की जो कथा आती है, वह संभवतः इसी रिवाज की परिचायक होगी । इसी ढंग का रिवाज ग्रीस के स्पार्टा नामक जनपद में भी प्रचलित था । सिकंदर के आक्रमण के समय, इन लोगों ने अत्यंत वीरता के साथ उसका सामना किया । सांगल की रक्षा करने के लिए इन लोगों ने उस नगरी के चौगिर्द शकटब्यूह की रचना की, एवं सिकंदर के साथ बडा भारी मुकाबला किया । इस युद्ध में प्रारंभ में इन लोगों की जीत हो रही थी, किंतु केकयराज पौरस पीछे से पाँच हजार भारतीय सैनिकों के साथ सिकंदर की सहायता करने आ पहुँचा, जिस कारण इन्हें युद्ध में हार मानना पडीं । इस युद्ध में १७,००० वीरों ने अपने जीवन की बलि दी । इस युद्ध के कारण सिकंदर इतना संत्रस्त हो गया कि, सांगल केन परास्त हो जाने पर उसने उसे भूमिसात् करने का आदेश दिया । सिकंदर इस नीति का अनुसरण तभी करता था, जब वह अपने शत्रु से हतप्रभ हो जाता था । इन लोगों में सौंदर्य को बहुत महत्त्व दिया जाता था । एवं राजपुरुषों का चुनाव करते समय भी, सौंदर्य को ही सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता था । इस जाति के स्त्रीपुरुष अपना विवाह स्वेच्छा से करते थे, एवं उनमें सती की प्रथा भी विद्यमान थी ।
कठ II. n. रेवती देखिये ।