प्रद्योत n. कुबेरसभा का एक यक्ष
[म.स.१०.१५] ।
प्रद्योत II. n. (प्रद्योत. भविष्य.) प्रद्योत वंश का प्रथम राजा, जो शुनक का पुत्र था । वायु में इस सुनीक का पुत्र कहा गया है । इसका पिता शुनक सूर्यवंश का अंतिम राजा रिपुंजय अथवा अरिंजय राजा का महामात्य था । उसने रिपुंजय राजा का वध कर, राजगद्दी पर अपने पुत्र प्रद्योत को बिठाया, जिससे आगे चल कर प्रद्योत राजवंश की स्थापना हुयी । भविष्य में इसे क्षेमक का पुत्र कहा गया है, एवं इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि दी गयी है
[भवि.प्रति.१.४] । इसके पिता क्षेमक अथवा शुनक का म्लेच्छों ने वध किया । अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए, नारद के सलाह से इसने ‘म्लेच्छयज्ञ’ आरम्भ किया । उस यज्ञ के लिए इसने सोलह मील लम्बा एक यज्ञ-कुंण्ड तैयार किया । पश्चात्, इसने वेदमंत्रों के साथ निम्नलिखित म्लेच्छ जातियों को जला कर भस्म कर दियाः---हारहूण, बर्बर, गुरुंड, शक, खस, यवन, पल्लव, रोमज, खरसंभव द्वीप के कामस, तथा सागर के मध्यभाग में स्थित चीन के म्लेच्छ लोग । इसी यज्ञ के कारण इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि प्राप्त हुयी ।
प्रद्योत II. n. प्रद्योत के राजवंश में कुल पॉंच राजा हुए, जिनके नाम क्रम से इस प्रकार थेः---प्रद्योत, पालक, विशाखयूप, जनक (अजक), तथा नंदवर्धन (नंदिवर्धन अथवा वर्तिवर्धन) । इन सभी राजाओं ने कुल एक सौ अडतीस वर्षों तक राज्य किया
[भा.१२.१] ;
[विष्णु.४.२२.२४] ;
[वायु.९९.३११-३१४] । इस वंश का राज्यकाल संभवतः ७४५ ई. पू. से ६९० ई. पू. के बीच माना जाता है । उक्त राजाओं के नाम सभी पुराणों में एक से मिलते है । जनक तथा नंदवर्धन राजाओं के नामांतर केवल वायु में प्राप्त है ।