प्रसृ [prasṛ] 1 P. To flow forth, spring, arise, proceed; लोहिताद्या महानद्यः प्रसस्रुस्तत्र चासकृत्
[Mb.] To go forth, advance; वेलानिलाय प्रसृता भुजङ्गाः
[R.13.12;] अन्वेषणप्रसृते च मित्रगणे
[Dk.] To spread, spread round; कृशानुः किं साक्षात् प्रसरति दिशो नैष नियतम्
[K. P.1;] प्रसरति तृणमध्ये लब्ध- वृद्धिः क्षणेन (दवाग्निः)
[Ṛs.1.25.] To spread, prevail, pervade; प्रसरति परिमाथी कोऽप्ययं देहदाहः
[Māl.1.41;] भित्त्वा भित्त्वा प्रसरति बलात् कोऽपि चेतोविकारः
[U.3.36.] To be stretched, to extend; न मे हस्तौ प्रसरतः
[Ś.2.] To be disposed or inclined to (do a thing), move; न मे उचितेषु करणीयेषु हस्तपादं प्रसरति
[Ś.4;] प्रसरति मनः कायारम्भं
[Pt.3.] 181.
To prevail, begin, commence; प्रससार चोत्सवः
[Ks.16.85.] To be long, be lengthened; यदि तु तव समागमे तथैव प्रसरति सुभ्रु ततः कृती भवेयम्
[V.3.22.] To grow strong or intense; प्रसृततरं सख्यम्
[Dk.] To pass away (as time).
To break forth or out (as fire).
To be displaced (as the humours of the body).-Caus.
to spread, stretch; जलनिधिवेगसहं प्रसार्य देहम्
[Bk.1.44.] To stretch forward, extend, hold out (as the hand); कालः सर्वजनान् प्रसारितकरो गृह्णाति दूरादपि
[Pt.2.2.] To spread out or expose for sale; क्रेतारः क्रीणीयुरिति बुद्ध्या आपणे प्रसारितं क्रय्यम् Sk.;
[Ms.5.129;] वणिजो न प्रसारयन्
[Rām.2.48.4.] To open wide, expand (as eyes).
To publish, promulgate.
To prosecute.
(In gram.) To change a semi-vowel into the corresponding vowel.