॥ मंगलाचरणम् ॥
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
स जयति सिन्धुरवदनो देवो यत्पादपङ्कजस्मरणम् ॥ वासरमणिरिव तमसां राशिं नाशयति विघ्नानाम् ॥१॥
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ॥ या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥२॥
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंधयते गिरिम् ॥ यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम् ॥३॥
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् ॥ देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥४॥
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ॥ देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥५॥
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ॥ गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥६॥ ॥ ॥
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Last Updated : November 11, 2016
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