उभयसप्तमी
( आदित्यपुराण ) - यह व्रत पौष शुक्ल सप्तमीको उपवास करके तीनों संधियों ( प्रातः, मध्याह और सायंकाल ) में गन्ध, पुष्प और घृतादिसे सूर्यका पूजन करे और क्षारसिद्ध मोदक निवेदन करे ( पकते हुए घीमें नमक डालकर उसे निकाल दे और फिर आटेको सेंककर मोदक बनावे ) । ब्राह्मणोंको भोजन कराये, गोदान करे और भूमिपर शयन करे तो सब कामना सफल होती है ।