हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|फाल्गुनके व्रत|फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत| अविघ्रकरव्रत फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत पयोव्रत मधुकतृतीया अविघ्रकरव्रत मनोरथचतुर्थी अर्कपुटसप्तमी कामदा सप्तमी कल्याणसप्तमी द्वादशसप्तमी लक्ष्मी सीताष्टमी शुक्लैकादशी पापनाशिनी द्वादशी वृषदानव्रत सर्वार्तिहरव्रत फाल्गुनी पूर्णिमा व्रतद्वयी पूर्णिमा फाल्गुन्यां पूर्वाफाल्गुनी अशोकव्रत लक्ष्मीनारायणव्रत कूर्चव्रत तीर्थक्षेत्रीय व्रत होलिकादहन फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - अविघ्रकरव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivalphalgunvratफाल्गुनमहिनाव्रतसण अविघ्रकरव्रत Translation - भाषांतर अविघ्रकरव्रत ( वाराहपुराण ) - फाल्गुन शुक्ल चतुर्थीको सुवर्णके गणेशजीका गन्धादिसे पूजन करे, तिलोंके पदार्थका भोग लगाये, तिलोंका हवन करे, ताम्रादिके पाँच पात्रोंमें तिल भरकर ब्राह्मणोंको दे एवं उनको तिलोंके पदार्थका भोजन कराये तथा स्वयं भी तिलोंका भोजन और तिलोंसे ही पारण करे । इस प्रकार चार महीनेतक प्रत्येक शुक्ल चतुर्थीका व्रत करके पाँचवे महीने ( आषाढ़ ) में पूर्वोक्त पूजित मूर्ति ब्राह्मणको दे तो सब विघ्र दूर होते हैं । प्राचीन कालमें अश्वमेधके समय महाराज सगरने, त्रिपुरासुरयुद्धमें शिवजीने और समुद्रमन्थनमें विघ्र न होनेके लिये स्वयं भगवानने यही व्रत किया था । N/A References : N/A Last Updated : January 01, 2002 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP