हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|फाल्गुनके व्रत|फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत| पापनाशिनी द्वादशी फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत पयोव्रत मधुकतृतीया अविघ्रकरव्रत मनोरथचतुर्थी अर्कपुटसप्तमी कामदा सप्तमी कल्याणसप्तमी द्वादशसप्तमी लक्ष्मी सीताष्टमी शुक्लैकादशी पापनाशिनी द्वादशी वृषदानव्रत सर्वार्तिहरव्रत फाल्गुनी पूर्णिमा व्रतद्वयी पूर्णिमा फाल्गुन्यां पूर्वाफाल्गुनी अशोकव्रत लक्ष्मीनारायणव्रत कूर्चव्रत तीर्थक्षेत्रीय व्रत होलिकादहन फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - पापनाशिनी द्वादशी व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivalphalgunvratफाल्गुनमहिनाव्रतसण पापनाशिनी द्वादशी Translation - भाषांतर पापनाशिनी द्वादशी ( ब्रह्माण्डपुराण ) - फाल्गुन शुक्ल एकादशीको प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् हाथमेम जल लेकर ' द्वादश्यां तु निराहारः स्थित्वाहमपरेऽहनि । भोक्ष्यामि जामदग्न्येश शरणं मे भवाच्युत ॥' - इस मन्त्नके उच्चारणसे व्रत ग्रहण करे । फिर आँवलेके वृक्षके नीचे एक वेदी बनाकर उसपर कलश स्थापन करके उसीपर ताँबे या बाँसके पात्रमें लाजा ( खील ) भरकर रखे और उसमें सुवर्णनिर्मित परशुरामकी मूर्ति रखकर ' क्षत्रान्तकरणं घोरमुद्वहन् परशुं करे । जामदग्न्यः प्रकर्तव्यो रामो रोषारुणेक्षणः ॥' से ध्यान करे और उनको पञ्चामृतसे स्त्रान कराकर षोडशोपचार पूजन करे । इसके अतिरिक्त ' पादयोर्विशोकाय ', ' जान्वोः सर्वरुपिणे ', ' नासिकायां शोकनाशाय ', ' ललाटे वामनाय ', ' भ्रुवो रामाय ' और ' शिरसि सर्वात्मने नमः' से अङ्गपूजा और नाममन्त्नसे आयुध - पूजा करे । फिर ' नमस्ते देवदेवेश जामदग्न्य नमोऽस्तु ते । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं मालत्या सहितो हरे ॥ ' से अर्घ्य देकर ' माता पितामहश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिणः । ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूले सदा पयः ॥' से आँवलेका अभिषेक करके १०८, २८ या ८ परिक्रमा करे और ब्राह्मण - भोजनादिसे पीछे व्रतका विसर्जन करे । N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2002 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP