भजन - हरि जू अजुगत जुगत करे...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


हरि जू अजुगत जुगत करेंगे ।

परबत ऊपर बहल काँचकी, नीके लै निकरेंगे ॥

गहिरे जल पाषान नाव बिच आछी भाँति तरेंगे ।

मैंन तुरुंग चढे़ पावक बिच, नाहीं पिघरि परेंगे ॥

याहू ते असमंजस हो किन, प्रभु दृढ़ कर पकरेंगे ।

नागर सब आधीन कृपाके, हम इन डर न करेंगे ॥

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Last Updated : December 22, 2007

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