हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|नारायण स्वामी| देख सखी नव छैल छबीलौ , प्... नारायण स्वामी सखि , मेरे मनकी को जानै ।... जाहि लगन लगी घनस्यामकी ।... प्रीतम , तू मोहिं प्रान त... करु मन, नंदनँदनको ध्यान ।... स्याम दृगनकी चोट बुरी री ... नंदनँदनके ऐसे नैन । अति ... या साँवरेसों मैं प्रीति ल... देख सखी नव छैल छबीलौ , प्... मोपै कैसी यह मोहिनी डारी ... चाहै तू योग करि भृकुटीमध्... नयनों रे , चित -चोर बतावौ... रुपरसिक , मोहन , मनोज -मन... मूरख , छाड़ि बृथा अभिमान ।... भजन - देख सखी नव छैल छबीलौ , प्... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajannarayan swamiनारायण स्वामीभजन नट Translation - भाषांतर देख सखी नव छैल छबीलौ, प्रातसमय इततें को आवै । कमलसमान बड़े दृग जाके, स्याम सलौनो मृदु मुसकावै ॥१॥ जाकी सुन्दरता जग बरनत, मुख-सोभा लखि चंद लजावै । नारायन यह किधौं वही है, जो जसुमतिकौ कुँवर कहावै ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : December 24, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP