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रसना , राम कहत तैं थाको ।...

भजन - रसना , राम कहत तैं थाको ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


रसना, राम कहत तैं थाको ।

पानी कहे कहुँ प्यास बुझति है, प्यास बुझै जदि चाखो ॥

पुरुष-नाम नारी ज्यों जानै, जानि-बूझि नहिं भाखो ।

दष्टीसे मुष्टी नहिं आवै नाम निरंजन बाको ॥

गुरु-परताप साधुकी संगति, उलटि दृष्टि जब ताको ।

'यारी' कहै सुनो भाई संतो, ब्रज बेधि कियो नाको ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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