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तू ब्रह्म चीन्हो रे ब्रह्...

भजन - तू ब्रह्म चीन्हो रे ब्रह्...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


तू ब्रह्म चीन्हो रे ब्रह्मज्ञानी ।

समुझि बिचारि देखु नीके करि, ज्यों दर्पनमधि अलख निसानी ।

कहै 'यारी' सुनो ब्रह्मगियानी जगमग जोति निसानी ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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