व्रत का विधान
इस अति पुनीत श्री अनन्त व्रत कथा के अनुष्ठान ही से समस्त पापों का विनाश होता है और मनुष्य सुख तथा समृद्धि को प्राप्त होता है ।
व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले ब्राह्ममुहूर्त में उठकर अपने नित्य कर्म से निवृत्त होवे तथा फिर किसी विद्वान आचार्य को बुलाकर भगवान् का एकाग्रचित्त से पूजन करना चाहिये, श्रद्धा पूर्वक पंचामृत से स्नान कराकर भगवान् को नैवेद्य अर्पण करे तथा समस्त पूजन की सामग्रियों से यथा विधि पूजन करे । तत्पश्चात् भगवान् का प्रसाद समस्त बन्धुबान्धव तथा कथा श्रवण करने वालों को दे, फिर स्वयं प्रसाद पावे । व्रत के दिन रात्रि को जागरण करना सर्व श्रेष्ठ है । इस प्रकार नियम पूर्वक व्रत तथा पूजन करने से, सर्व सुख, आरोग्यता समृद्धि, यश, धन, धान्य, सन्तान वैभव तथा विजय की प्राप्ति होती है अन्त में सायुज्य मोक्ष होती है ।
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Last Updated : January 06, 2008

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