पुत्रव्रत
( वाराहपुराण ) - इसके लिये भाद्रपद कृष्ण सप्तमीको उपवासकर विष्णुका पूजन करे और दूसरे दिन
' ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा '
इस मन्त्नसे तिलोंकी १०८ आहुति देकर ब्राह्मणोंको भोजन करावे और बिल्वफल खाकर षडरस ( मधुर, अम्ल, लवण, कषाय, तिक्त और कटु ) भक्षण करे । इस प्रकार प्रत्येक कृष्ण सप्तमीको करके वर्ष व्यतीत होनेपर दो गोदान करे तो पुत्रकी प्राप्ति होती है ।