गो - पूजन
किसी सौभाग्यवतीको पुत्र न होता हो तो वह कार्तिक, मार्गशीर्ष या वैशाखके शुक्ल पक्षमें पहले गुरुवारको गो - पूजन प्रारम्भ करे । प्रातःकाल नित्यकृत्यसे निवृत्त होकर अपनी या परायी किसी भी गौको मकानके प्राङ्गणमें पूर्वाभिमुख खड़ी करके स्वयं उत्तराभिमुख होकर शुद्ध जलसे उसका पादप्रक्षालन करे । फिर उसके ललाटको धोकर मध्यमें रोलीका टीका लगावे और अक्षत चढ़ावे । फिर कुछ भोजन, लडडू, पेड़ा, बतासा या गुड़ खिलाकर मुँह धो देवे । फिर करबद्ध नतमस्तक होकर प्रार्थना करे कि ' हे मातः ! मुझे पुत्र प्रदान कर । ' इस प्रकार वर्षभर करना चाहिये ।