कृष्णव्रत -
प्रौढावस्थामें भी पुत्र न हो तो यज्ञोपवीत धारण करके श्रीकृष्ण या गणेशके मन्दिरमें अथवा गोशाला या पीपल, गूलर या कदम्ब - वृक्षके नीचे बैठकर कमल, कदम्ब या तुलसीकी मालापर -
' देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥'
इस मन्त्नका प्रतिदिन पाँच हजार, ढाई हजार या एक सहस्त्र जप करे । इस प्रकार एक लाख पूरा हो जानेपर दशांश हवन, तर्पण, मार्जनकर ब्राह्मणोंको खीर, मालपूआ, पूड़ीका भोजन करावे । ऐसा करनेसे श्रीकृष्णकी कृपासे पुत्र प्राप्त होता है ।