हिंदी सूची|व्रत|विशिष्ट व्रत|लोकहितकरव्रत| गायत्रीपुरश्चरण लोकहितकरव्रत अनावृष्युपशमनविधानव्रत वृष्टिप्रदव्रत महामारीशमनविधानव्रत सर्वरोगनाशक धर्मराजव्रत सर्वरोगहर चित्रगुप्तव्रत कलिमलहर श्रीकृष्णव्रत गो पूजन अभिलाषाष्टक पापघट दान कृष्णव्रत गायत्रीपुरश्चरण लोकहितकरव्रत - गायत्रीपुरश्चरण व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत गायत्रीपुरश्चरण Translation - भाषांतर गायत्रीपुरश्चरण - किसी निश्चित शुभ मुहूर्तमें प्रारम्भ करे । इसके एक दिन पूर्व उपवासपूर्वक क्षौराचरणकर दशविधस्त्रान करे । दूसरे दिन देवमन्दिर या बिल्ववृक्षके नीचे भगवान् सूर्यके स्वरुपका चिन्तन करता हुआ रुद्राक्षकी मालासे प्रतिदिन पाँच सहस्त्र या एक सहस्त्र गायत्रीका जप करे । साथ ही गोघृतसे दशांश हवन भी करता जाय । जपके बाद प्रतिदिन जौकी रोटी और मूँगकी दाल बनाकर भोजन करे । अन्न स्वकीय ही होना चाहिये । चौबीस लाख जप पूरा हो जानेपर पुरश्चरण सम्पूर्ण होता है । यह पुरश्चरण यदि निर्विघ्र समाप्त हो जाय; तो व्रतकर्ताको धन, धान्य, प्रतिष्ठा, पुत्रादिकी प्राप्ति होती है । N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP