हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|अभिलाषा| आज मोहिं लागे वृन्दावन... अभिलाषा कन्हैया कन्हैया पुकारा ... चालो चालो सखी दर्शन क... मोहन हमारे मधुवन में ... मुझे है काम ईश्वरसे ज... आज मोहिं लागे वृन्दावन... इतना तो करना स्वामी !... थे तो आरोगोजी मदनगोपाल... थे तो आरोगोजी दीनदयाल ... बसो मेरे नैननि में यह जोर... बसो मेरे नैननमें नन्दल... आओ नन्द -नन्दना , आओ मन... राणोजी रुठे तो म्हारो ... और आसरो छोड़ , आसरो ले ... नरसीलो टेर लगावे जी , ... अभिलाषा - आज मोहिं लागे वृन्दावन... ’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है । Tags : bhajankirtanअभिलाषाकीर्तनभजनहिंदी अभिलाषा Translation - भाषांतर आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको ॥ घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दरसण गोविन्दजीको ॥१॥ निरमल नीर बहत जमुनामें, भोजन दूध दहीको । रतन सिंघासण आपु बिराजै,मुकुट धर् यो तुलसीको ॥२॥ कुञ्जन-कुञ्जन फिरत राधिका,सबद सुणत मुरलीको । ’मीरा’ के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : January 22, 2014 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP