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ब्रह्म सूत्राणि - तृतीयोध्यायः
ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत ज्यांची नांवे आहेत - समन्वय, अविरोध, साधन आणि फल. प्रत्येक अध्यायात चार भाग आहेत.
Type: INDEX | Rank: 1.864489 | Lang: NA
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ब्रह्म सूत्राणि - प्रथमोध्यायः
ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत ज्यांची नांवे आहेत - समन्वय, अविरोध, साधन आणि फल. प्रत्येक अध्यायात चार भाग आहेत.
Type: INDEX | Rank: 1.864489 | Lang: NA
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ब्रह्म सूत्राणि - द्वितीयोध्यायः
ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत ज्यांची नांवे आहेत - समन्वय, अविरोध, साधन आणि फल. प्रत्येक अध्यायात चार भाग आहेत.
Type: INDEX | Rank: 1.864489 | Lang: NA
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ब्रह्म सूत्राणि - चतुर्थोध्यायः
ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत ज्यांची नांवे आहेत - समन्वय, अविरोध, साधन आणि फल. प्रत्येक अध्यायात चार भाग आहेत.
Type: INDEX | Rank: 1.864489 | Lang: NA
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पञ्च-ब्रह्म
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 1.853227 | Lang: NA
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प्रथमोऽध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.643768 | Lang: NA
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ब्रह्म
Meanings: 196; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 1.506739 | Lang: NA
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ब्रह्म उपनिषद्
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 1.30597 | Lang: NA
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निर्गुण ब्रह्म
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 1.284118 | Lang: NA
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चतुर्थोऽध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्राणि
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: INDEX | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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प्रथमोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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द्वितीयोध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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आन्हिकाचारप्रकरणम् - अथाग्निकार्यंब्रह्मचारिण:
ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्राणि - चतुर्थोऽध्यायः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: INDEX | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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प्रथमोध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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चतुर्थोऽध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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आन्हिकाचारप्रकरणम् - अथमालालक्षणंसंस्कारश्च
ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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द्वितीयोध्यायः - चतुर्थः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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तृतीयोऽध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्राणि - प्रथमोऽध्यायः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
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चतुर्थोऽध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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द्वितीयोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
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प्रथमोऽध्यायः - चतुर्थः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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द्वितीयोध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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तृतीयोऽध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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तृतीयोऽध्यायः - चतुर्थः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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आन्हिकाचारप्रकरणम् - अथमालासंस्कार:
ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्राणि - तृतीयोऽध्यायः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: INDEX | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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चतुर्थोऽध्यायः - चतुर्थः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्राणि - द्वितीयोऽध्यायः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: INDEX | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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तृतीयोऽध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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आन्हिकाचारप्रकरणम् - अथकुशग्रहणविधि:
ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः
Type: PAGE | Rank: 1.195439 | Lang: NA
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सगुण ब्रह्म
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 1.18718 | Lang: NA
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ब्रह्म सूत्राणि
ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत ज्यांची नांवे आहेत - समन्वय, अविरोध, साधन आणि फल. प्रत्येक अध्यायात चार भाग आहेत.
Type: INDEX | Rank: 1.165305 | Lang: NA
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ब्रह्म उपनिषद
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 1.148537 | Lang: NA
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निर्गूण ब्रह्म
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.132712 | Lang: NA
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वातुलनाथ-सूत्राणि - महासाहसवृत्त्य स्वरूपलाभः...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते.
In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
Type: PAGE | Rank: 1.098181 | Lang: NA
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पातञ्जल योग सूत्राणि
योग शास्त्र ऋषी मुनींनी जगाला शिकविले.
Type: PAGE | Rank: 1.097931 | Lang: NA
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पञ्च-ब्रह्म उपनिषद्
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 1.052039 | Lang: NA
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पञ्च-ब्रह्म उपनिषद
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.948813 | Lang: NA
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ब्रह्म सावर्णि मनु
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.9146482 | Lang: NA
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अरूप ब्रह्म
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.8152202 | Lang: NA
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - मंगल मांगल्य ब्रह्म हें स...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास दूसरा - ब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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संत जनाबाई - विटेवरी ब्रह्म दिस । साधु...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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भजन - तू ब्रह्म चीन्हो रे ब्रह्...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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ब्रह्म - शापविमोचन
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
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भजन - ब्रह्म मैं ढूँढ़्यौ पुरानन...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - योगियांचे धन तें ब्रह्म स...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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