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पुनर्वसु

   { punarvasu ātreya }
Script: Devanagari

पुनर्वसु     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
PUNARVASU ĀTREYA   An ancient preceptor of Āyurveda. He was the Guru of Agnideva author of the book ‘Agniveśatantra’ which is the basis of Carakasaṁhitā and also of his classmates like Bhela. Punarvasu was the son of the sage Atri who was one of the spiritual sons of Brahmā. In support of this statement it can be found in many places in Caraku saṁhitā his name referred to as ‘Atrisuta’ or Atrinandana’. Atri maharṣi was also a learned preceptor of Āyurveda According to Kaśyapasaṁhitā Devendra taught Āyur veda to Kaśyapa, Vaṣiṣṭha, Atri and Bhṛgu. The incomplete work ‘Āyurvedacikitsātantra’ by Atri was completed by Punarvasu according to Aśvaghoṣa. Punurvasu's mother's name was Candrabhāgā. Getting knowledge in Āyurveda from his father and also from Bharadvāja, Punarvasu became an authority on Āyurveda. His important work is ‘Ātreyasaṁhitā’. There are about thirty prescriptions in his name. The prescriptions regarding ‘Balātaila’ and ‘Amṛtāditaila’ are found in Carakasaṁhitā.

पुनर्वसु     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  वह काल जब चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में होता है   Ex. अभी पुनर्वसु नक्षत्र चल रहा है ।
ONTOLOGY:
अवधि (Period)समय (Time)अमूर्त (Abstract)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
पुनर्वसु नक्षत्र वासु यामक
Wordnet:
benপূর্ণবসু নক্ষত্র
gujપુનર્વસુ નક્ષત્ર
kanಪುನರ್ವಸು
kasپُرنٔوَسو
kokपुनर्वसू नक्षत्र
malപുണര്തം
oriପୁନର୍ବସୁ ନକ୍ଷତ୍ର
tamபுனர்பூச நட்சத்திரம்
telపునర్వసు నక్షత్రం
urdپنروَسُونِچَھتّر , ساتواں نچھَتر , یامََک
noun  सत्ताईस नक्षत्रों में से एक   Ex. पुनर्वसु चन्द्रमा के मार्ग में पड़नेवाला सातवाँ नक्षत्र है ।
ONTOLOGY:
समूह (Group)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
पुनर्वसु नक्षत्र वासु यामक
Wordnet:
benপুর্ণবসু
kanಪುರ್ನವಸು
kasپُنَروَیٚسوٗ تارک مَنڑَل
kokपुनर्वसू
marपुनर्वसू
oriପୁନର୍ବସୁ
panਪੁਨਰਵਾਸੂ
sanपुनर्वसू
tamபுனர்பூசம்
urdپنروسو , پنروسونکشتر , یامک

पुनर्वसु     

पुनर्वसु n.  (सो.कुकुर.) एक यादव राजा । भागवत के अनुसार यह दरिद्योत का, वायु तथा विष्णु के अनुसार अभिजित का, तथा मत्स्य के मतानुसार नल या नंदनोदरदुंदुभि का पुत्र था । इसके आहुक तथा आहुकी नामक दो पुत्र थे ।
पुनर्वसु (आत्रेय) n.  एक प्राचीन आर्युवेदाचार्य । चरक संहितो के मूल ग्रंथ ‘अग्निवेशतंत्र’ के रचयिता अग्निवेश का तथा उसके सहपाठी भेल आदि का यह गुरु था । यह ब्रह्मा के मानसपुत्र देवर्षि अत्रि का पुत्र था । आत्रेय शब्द से ‘अत्रिपुत्र’ ‘अत्रिवंशज’ एवं ‘अत्रि-शिष्यपरम्परा’ का बोध होता है, किंतु यहाँ ‘आत्रेय’ शब्द पुत्र-वाचक ही है । क्योंकि, चरकसंहिता में विभिन्न स्थानों पर इसके लिये ‘अत्रिसुत’, ‘अत्रिनंदन’ आदि का स्पष्ट निर्देश है [चरक. सू.३.२९,३०.५०] । इसके पिता अत्रि ऋषि स्वयं आयुर्वेदाचार्य थे । ‘काश्यपसंहिता’ के अनुसार, इंद्र ने कश्यप, वसिष्ठ, अत्रि एवं भृगु ऋषियों को आयुर्वेद की शिक्षा दी थी । अश्वघोष के अनुसार, आयुर्वेद चिकित्सातंत्र का जो भाग अत्रि ऋषि पूरा न कर सके, उसे उसके पुत्र पुनर्वसु आत्रेय ने पूर्ण किया [अश्वघोष-‘बुद्धचरित’ १.४३] । इसकी माता का नाम चन्द्रभागा था, जिस कारण इसे ‘चान्द्रभागा’ अथवा चान्द्रभागी नामांतर भी प्राप्त है [काश्यप. उपोद्‍घात पृ.७७] कृष्णयजुर्वेदाय होने के कारण इसे ‘कृष्णात्रेय’ भी कहते हैं [चरक.सृ.११.६५] । अपने पिता अत्रि ऋषि तथा भरद्वाज से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त कर, यह आयुर्वेदाचार्य बना । सामान्यतः यह भरद्वाज ऋषि का समकालीन माना जाता है । किन्तु एक तिब्बतीय कथा के अनुसार, सुप्रसिद्ध बौद्धभिक्षु जीवन की आयुर्वेदीय शिक्षा आचार्य आत्रेय द्वारा तक्षशिला में हुयी थी । पुनर्वसु आत्रेय यायावर ऋषि थे, एवं इनके रहने का कोई स्थान निश्चित था । यह पर्यटन करते हुये आयुर्वेद का उपदेश देते थे, एवं विद्वानों की सभाओं में भाग लेते थे। महर्षि भरद्वाज के द्वारा आयोजित एक ‘वैद्यक-सभा’ में यह उपस्थित थे ।
पुनर्वसु (आत्रेय) n.  आत्रेय के कुल छः शिष्य थे, जिनके नाम इस प्रकार थेः--अग्निवेश, भेल, जतूकर्ण, पराशर, हारीत तथा क्षीरपाणि [चरक.१.३०,३७]
पुनर्वसु (आत्रेय) n.  इसका सुविख्यात ग्रन्थ ‘आत्रेयसंहिता’ हैं । इस ग्रन्थ के अनेक हस्तलेख विभिन्न् हस्तलेख संग्रहों में प्राप्त हैं । आजकाल प्रकाशित ‘हारीतसंहिता’ में पॉंच विभिन्न ‘आत्रेय संहिताओं’ के निर्देश प्राप्त हैं, जिनकी श्लोक संख्या क्रमशः चौवीस हजार, बारह हजार, छः हजार, तीन हजार एवं पंद्रह सौ दी गयी हैं । आत्रेय के नाम पर लगभग तीस ‘आयुर्वेदीय योग’ उपलब्ध हैं । इनमें से ‘बल तैल’ एवं ‘अमृताद्य तैल’ का निर्देश संहिता में प्राप्त है [चरक.चि.२८.१४८-१५६,१५७-१६४]
पुनर्वसु II. n.  दक्ष की कन्या, जो सोम की पत्नी थी ।

पुनर्वसु     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
The seventh lunar asterism.

पुनर्वसु     

Aryabhushan School Dictionary | Marathi  English
 m f pl  The seventh lunar asterism.

पुनर्वसु     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
पुनर्—वसु  n. m. (पु॑नर्-) ‘restoring goods’, N. of the 5th or 7th lunar mansion, [RV.,] &c. &c. (mostly du.cf.[Pāṇ. 1-2, 61] ; -त्व॑n., [MaitrS.] )
ROOTS:
पुनर् वसु
N. of विष्णु or कृष्ण, [MBh.]
of शिव, [L.]
of कात्यायन or वररुचि, [L.]
of a son of तैत्तिरि (son of अभिजित् and father of आहुक), [Hariv.]
of a son of अभिजित् (अरि-द्योत) and father of आहुक, [Pur.]
of other men, [Pāṇ. 1-2, 61] Sch.
of a partic. world, [L.]
commencement of wealth, [L.]

पुनर्वसु     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
पुनर्वसु  m.  (-सुः) The seventh of the lunar asterisms, containing accord- ing to some authorities two, and to others, four stars; (in this sense it is properly confined to the dual number पुनर्व्वसु, though in the Vedas it it used in the singular.)
2. A name of VISHṆU.
3. The name of a saint, and grammarian; also KĀTYĀYANA.
4. A name of ŚIVA.
5. Commencement of wealth.
6. A Loka or division of the universe.
E. पनर् again, वस् to dwell, aff. .
ROOTS:
पनर् वस्

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