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लोमश

   { lomaśa (romaśa), lōmaśa, lomaśa }
Script: Devanagari

लोमश     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
LOMAŚA I (ROMAŚA) I   A sage, who was a great story-teller. Many of the stories found as episodes in the Purāṇas were told by this sage. Mahābhārata gives the following details about him.
(1) Lomaśa was very virtuous and longlived. [Śloka 18, Chapter 31, Vana Parva] .
(2) Once Lomaśa entered the court of Indra and spoke to Indra about Arjuna sitting sharing a half of his seat before him. [Śloka 1, Chapter 47, Vana Parva] .
(3) Lomaśa returned to Kāmyakavana from the court of Indra and gave Yudhiṣṭhira the messages from Indra and Arjuna. [Śloka 33, Chapter 47, Vana Parva] .
(4) He prophesied to Arjuna that he would get divine weapons from Śiva. [Śloka 10, Chapter 91, Vana Parva] .
(5) Lomaśa consoled Yudhiṣṭhira when he came to the forests in exile leaving all his happy surroundings in the country. [Śloka 17, Chapter 94, Vana Parva] .
(6) He told Dharmaputra the story of Agastya. [Chapter 96, Vana Parva] .
(7) Lomaśa told Dharmaputra the stories of Śrī Rāma and Paraśurāma. [Śloka 40, Chapter 99, Vana Parva] .
(8) Asuras defeated all the Devas and the latter were perplexed. It was Lomaśa who then advised them to make weapons out of the bones of the sage Dadhīca. [Chapter 100, Vana Parva] .
(9) Lomaśa mentioned to the Devas a trick to kill Vṛtrāsura. [Chapter 101, Vana Parva] .
(10) The story of Bhagīratha, the episode of Ṛṣyasṛṅga etc. were all told by Lomaśa. [Chapters 103 to 113, Vana Parva] .
(11) Lomaśa told Yudhiṣṭhira the story of the Yāga of King Gaya, the story of the river Payoṣṇī, the glory of the mountain of Vaiḍūrya and the river Narmadā, and the story of Cyavana the great sage. [Chapter 121, Vana Parva] .
(12) He told the Pāṇḍavas the story of Māndhātā. [Chapter 126, Vana Parva] .
(13) Lomaśa told Yudhiṣṭhira the story of Somaka and Jantu. [Chapter 127, Vana Parva] .
(14) He praised the glory of the holy place Yamunātīrtha, known as Plakṣaprasravaṇa also, near Kurukṣetra. Chapter 129, Vana Parva).
(15) It was Lomaśa who told the story of the emperor Śibi who gave his own flesh to protect a dove which went to him for refuge. [Chapter 130, Vana Parva] .
(16) Lomaśa told the story of the sage Aṣṭāvakra to the Pāṇḍavas. [Chapter 133, Vana Parva] .
(17) He described the story of Yavakrīta and Medhāvī to the Pāṇḍavas. [Chapter 135, Vana Parva] .
(18) Dharmaputra heard the stories of Bharadvāja, Raibhya, Arvāvasu and Parāvasu from Lomaśa. [Chapter 137, Vana Parva] .
(19) Lomaśa told Dharmaputra the story of Narakāsura and the incarnation of Viṣṇu as Varāha. [Chapter 142, Vana Parva] .
(20) Lomaśa visited Bhīṣma lying on his bed of arrows. [Śānti Parva] .
(21) Lomaśa praised the glory of giving rice as charity, [Śloka 10, Chapter 67, Anuśāsana Parva] .
(22) Lomaśa was a sage from the north. [Śloka 46, Chapter 165, Vana Parva] .
(23) Lomaśa relieved many nymphs like Pramohinī from their curses. (See under Pramohinī).
LOMAŚA II   A cat. (See under Ḍiṇḍika).

लोमश     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक ऋषि   Ex. लोमश का उल्लेख पुराणों में मिलता है ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
लोमश ऋषि लोमशऋषि
Wordnet:
benলোমশ ঋষি
gujલોમશ
kasلومش , لومش ریش
kokलोमश
marलोमश
oriଲୋମଶ ଋଷି
panਲੋਮਸ਼
sanलोमशः
urdلومش , لومش رشی
adjective  अधिक और बड़े रोएँ वाला   Ex. लोमश जन्तुओं को उनके रोएँ के लिए पाला जाता है ।
MODIFIES NOUN:
जंतु वस्तु
ONTOLOGY:
अवस्थासूचक (Stative)विवरणात्मक (Descriptive)विशेषण (Adjective)
SYNONYM:
रोमश
Wordnet:
benলোমশ
gujલોમશ
kanಉದ್ದ ಕೂದಲಿನ
kokल्हंवाळ
malവലിയ രോമമുള്ള
sanरोमश
tamநீண்ட ரோமமுடைய
telరోదించే
urdروئیںدار , لومش
See : भेड़ा

लोमश     

लोमश n.  एक दीर्घजीवी महर्षि, जिसका हृदय धर्मपालन से विशुद्ध हो चुका था [म. व. ३२.११] । इसके शरीर पर अत्यधिक लोम (केश) थे, जिस कारण इसे लोमश नाम प्राप्त हुआ था । इसकी आयु इतनी अधिक थी कि, प्रत्येक कल्पान्त के समय इसका केवल एक ही बाल झडता था । एक बार इसने सौ वर्षों तक कमलके फूलों से शिव की उपासना की थी, जिस कारण इसे प्रत्येक कल्प के अन्त में एक एक बाल झडने का, एवं प्रलयकाल के समय मुक्ति प्राप्त होने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था [स्कंद १.२.१३]
लोमश n.  एकवार घूमते घूमते वह इंद्र के पास पहूँचा । वहाँ इंद्र के पास अस्त्रविद्या के प्रप्ति के लिए इंद्रलोक में आया हुआ अर्जुन इसे दिखाई पडा, जो इंद्र के अर्धासन पर विराजमान हुआ था । इंद्र ने लोमश से कहा, ‘अर्जुन साक्षात नरनारायण का ही अवतार है, जो कौरवों पर विजय पानेवाले अस्त्रों की प्राप्ति करने के लिए यहाँ आया है । काम्यकवन में रहनेवाला युधिष्ठिर अर्जुनके कारण चिंताग्रस्त हो चुका है; मैं यही चाहता हूँ कि, तुम युधिष्ठिर के पास जा कर अर्जुन का कुशल वृत्तांत उसे बता देना, एवं उसके मनबहलाव के लिए भारत के अन्यान्य तीथों का दर्शन उसे कराना’ [म. व. ४५.२९-३३]
लोमश n.  इंद्र की आज्ञानुसार, यह काम्यकवन में आया । इसने अर्जुन कुशलवृत युधिष्ठिर को सुनाया, एवं तीर्थयात्रा प्रस्ताव उसके सम्मुख रखा । पश्चात यह युधिष्ठिर के साथ तीर्थयात्रा करने के लिए निकला । पहले ये महेंद्र पर्वत पर गये, एवं चतुर्दशी के दिन परशुराम का दर्शन कर प्रभासक्षेत्र मे गयें । वहाँसे यमुना नदी के किनारे ये कैलास पर्वत के पास आ पहूँचे [म. व. ८९-१४०] । पश्चात गंधमादन पर्वत की तराई में सुबाहु नामक किराताधिपति का सत्कार स्वीकार कर, इन्होनि गंधमादन पर्वत का सारोहरण करना प्रारंभ किया । किन्तु ये दोनों थकने के कारण, भीम ने घटोत्कच की सहाय्यता से इन्हें गंधमादन पर्वत पर स्थित ‘नरनारायण’ आश्रम में पहुँचा दिया [म. व. १४१-१४६] । बाद में सत्रह दिनों तक प्रवास कर ये वृषपर्वन के आश्रम में पहूँच गयें, एवं चार दिनों के उपरान्त आर्षिषेण ऋषि के आश्रम में आयें [म. व. १५५] । वहाँ धौम्य ऋषि ने युधिष्टिर को सुर्य चंद्र की गति के संबंध में जानकारी बतायी [म. व. १६०] । इतने में इंद्र की सहाय्यता से अर्जुन गंधमादन पर्वत पर आ पहूँचा [म. व. १६१.१९] । पश्चात यह युधिष्ठिर एवं अर्जुन के साथ चार वर्षों तक गंधमादन पर्वत पर ही रहा [म. व. १७३.८] । पाण्डवों के वनवास के दस साल पूर्ण होने के पश्चात, लोमश उन्हें पुनःएक वार नरनारायण आश्रम में ले आया । किराताधिपति सुबाहु के घर एक महिने तक रहने के पश्चात, ये यामुनगिरि-पर स्थित विशाखपूप में गयें, एवं वहाँसे द्वैतवन में गयें । वहाँ सरस्वती नदी के किनारे बरसात के चार महिने व्यतीत करने के पश्चात, पौर्णिमा होते ही, इसने पाण्डवों को काम्यकवन में पहूँचाया, एवं यह स्वयं तपस्या के लिए चला गया [म. व. १७८-१७९]
लोमश n.  तीर्थयात्रा के समय, लोमश ऋषि ने युधिष्ठिर को अनेक देवता एवं धर्मात्मा राजाओं के आख्यान सुनायें, जिनमें निम्न आख्यान प्रमुख थे, अगस्त्यचरित्र [म. व. ९६-९९] भगीरथचरित्र [म. व. १०६-१०९] ऋश्यशृंगचरित्र [म. ब. ११०-११३] च्यवनकन्था सुकन्या का चरित्र [म. व. १२१-१२५] मांधातृचरित्र [म. व. १२६-१२७]
लोमश n.  लोमश ने दुर्दम राजा को देवी भागवत का पाठ पाँच बार पढ कर सुनाया था जिस कारण उसे पाँचवे मन्वन्तर के अधिपति रैवत नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी [दे.भा. महात्म्य.५] । पिशाचयोनि में प्रविष्ट हुए सुशाला, सुस्वरा, सुतारा एवं चंद्रिका आदि गंधर्वकन्याओं का एवं वेशनिधि नामक ऋषिपुत्र का इसने नर्मदास्नान का उपदेश कर उद्वार किया था [पद्म. सृ.२३]
लोमश n.  इसके नाम पर ‘लोमशसंहिता’ एवं ‘लोमशशिक्षा’ नामक दो ग्रंथ उपलब्ध है (c.c.) उनमें से ‘लोमशशिक्षा’ सामवेद का शिक्षा ग्रंथ था, जो आठ खण्डों में विभाजित है । इस ग्रंथ के पहले ही श्लोक में इसका गर्गाचार्य के साथ निर्देश प्राप्त है, जिसका संदर्भ ठीक प्रकार से ध्यान में नहीं आता है । कश्यपसंहिता में प्राप्त ज्योतिषशास्त्र के प्रवर्तक अठारह महर्षियों में, लोमश ऋषि का निर्देश प्राप्त है । उन आचायों के द्वारा सिद्धान्त, होरा एवं संहिता इन तीन स्कंदों में विभाजित ज्योतिषशास्त्र की रचना किये जाने का निदेंश वहाँ प्राप्त है ।
लोमश n.  पद्म में प्राप्त रामकथा का वक्ता लोमश ऋषि बताया गया है [पद्म. पा. ३६] । महाभारत में प्राप्त परशुराम के तेजोभंग के आख्यान का वक्ता लोमश ही है [म. अनु. ३५१] । लोमश के नाम पर ‘लोमशरामायण’ नामक एक ग्रंथ भी उपलब्ध है, जिसमें बैतीस हजार श्लोक है । उस ग्रंथ में राजा कुमुद एवं वीरमती के द्वारा दशरथ एवं कौसल्या क रूप में जन्म लेने की कथा प्राप्त है, एवं जालंधर के शाप के कारण रामावतार होने का आख्यान भी वहाँ दिया गया है । तुलसी के द्वारा विरचित रामचरितमानस में भी भृगुण्डि ऋषि को लोमश के द्वारा रामकथा प्राप्त होने का निर्देश है [मानस. उ. ११३.] । रसिक सांप्रदाय में भी एक लोमशसंहिता प्रचलित है, जिसमें इसका एवं पिष्पलाद ऋषि का एक संवाद प्राप्त है ।
लोमश n.  लोमश ऋषि के आश्रम निम्नलिखित दो स्थानो में दिखायें जाते है १. राजस्पान में बुंदी शहर के उत्तर में सत्रह मील पर स्थित तिमाणाग्रम में उपर्या नामक शिवमंदिर एवं लोमश ऋषि का आश्रम प्राप्त है २. पंजाब में स्थित ज्वालामुखी ग्राम में पचपन मील पर स्थित रिवालसर (रेवासर) ग्राम सें लोमश आश्रम सुविख्यात है । इसके अतिरिक्त गया जिले में स्थित वरावर पहाडी में दशरथ राजा के द्वारा खोदी गई एक गुफा लोमश गुफा नाम से प्रसिद्ध है ।
लोमश II. n.  रावणपक्षीय एक राक्षस [वा. रा. सुं. ६]

लोमश     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  एक रुशी   Ex. लोमशाचो उल्लेख पुराणांत मेळटा
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
लोमश रुशी
Wordnet:
benলোমশ ঋষি
gujલોમશ
hinलोमश
kasلومش , لومش ریش
marलोमश
oriଲୋମଶ ଋଷି
panਲੋਮਸ਼
sanलोमशः
urdلومش , لومش رشی

लोमश     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
lōmaśa a S Hairy. 2 Woollen.

लोमश     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  एक ऋषी   Ex. लोमश ह्यांचा उल्लेख पुराणांत आढळतो.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
लोमश ऋषी
Wordnet:
benলোমশ ঋষি
gujલોમશ
hinलोमश
kasلومش , لومش ریش
kokलोमश
oriଲୋମଶ ଋଷି
panਲੋਮਸ਼
sanलोमशः
urdلومش , لومش رشی

लोमश     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
लोमश  mfn. mf(आ॑)n. hairy, woolly, shaggy, bristly, covered or mixed with hair, made of hair, containing hair, [TBr.] &c. &c.
consisting in sheep or other woolly animals (as property), [TUp.]
overgrown with grass, [Kāṭh.] ; [GṛŚrS.]
लोमश  m. m. a ram, sheep, [L.]
N. of a ऋषि, [MBh.]
of a cat, ib.
लोमश  n. m. or n.N. of a partic. plant or its root, [Car.]
लोमश  n. n. a kind of metre, [Nid.]

लोमश     

लोमश [lōmaśa] a.  a. [लोमानि बाहुल्येन सन्त्यस्य श]
Hairy, woolly, shaggy.
Woollen.
Containing hair.
Consisting in sheep (as property).
Overgrown with grass.
-शः   A sheep, ram; धान्यं हृत्वा तु पुरुषो लोमशः संप्रजायते.
शा A fox.
A female jackal.
An ape.
Green vitriol. -Comp.
-कर्णः   a species of animal living in holes.
-पुष्पकः   the Śirīṣa tree.-मार्जारः the civet-cat.

लोमश     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
लोमश  mfn.  (-शः-शा-शं)
1. Hairy, covered with or made of hair.
2. Wool- len.
 m.  (-शः)
1. A ram.
2. The name of a Rishi celebrated in the Mahābhārata.
 f.  (-शा)
1. A fox.
2. A sort of Bonduc.
3. A plant, (Leea hirta.)
4. Indian spikenard, (Valerianā jatāmānsi.)
5. Cowach, (Carpopogon pruriens.)
6. A medicinal plant, commonly Mahā-meda.
7. Sida cordifolia.
8. A female demi-divine being, an attendant on DURGĀ, one of the Sākinīs.
9. Green vitriol.
10. Orris root.
11. An ape.
E. लोम hair, aff.
ROOTS:
लोम

लोमश     

See : रोमश

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