धातृ n. वैवस्वत मन्वन्तर के बारह आदित्यों में से एक
[भा.६.६.३९] ;
[पद्म. सृ६] । इसकी माता का नाम अदिति, एवं पिता का नाम कश्यप था
[म.आ.५९.१५] । खाण्डववनदाह के समय, श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बीच युद्ध का संभव हुआ था । उस समय, यह देवताओं की ओर से आया था
[म.आ.२१८.३३] । इसके द्वारा स्कंद के पॉंच पार्षद प्रदान किये गये थे । उनके नामः--कुन्द, कुसुम, कुमुद, डम्बर एवं आडम्बर
[म.श.४४.३५] । इसे कुहू, सीनीवाली, अनुमति, एवं रांका नामक चार पत्नियॉं थी। उनसे इसे, सायंकाल, दर्श, पूर्णमास, एवं प्रातःकाल नामक चार पुत्र हुएँ
[भा.६.१८.३] । इसके पुत्रों के ये नाम रुपकात्मक प्रतीत होते है । आदित्य के नाते, यह हरसाल कार्तिक मास में प्रकाशित होता है, एवं इसके ११००० किरणें रहती है
[भवि.ब्राह्म.१.७८] । भागवतमत में, यह चैत्रमास (‘मधुमास’) में प्रकाशित होता है
[भा.१२.११.३३] ;विवस्वत् देखिये ।
धातृ II. n. ब्रह्माजी का पुत्र । भागवतमत में, यह भृगु ऋषि को ख्याति से उत्पन्न हुआ था । इसके दूसरे भाई का नाम विधाता, एवं बहन का नाम लक्ष्मी (श्री) था । विधाता एवं यह मनु के साथ रहते थे
[म.आदि.६०.५०] । मेरुकन्या आयति इसकी पत्नी थी । उससे इसे मृकण्ड नामक पुत्र हुआ था
[भा.४.१.४३-४४] । हस्तिनापुर जाते समय, मार्ग में श्रीकृष्ण से इसकी भेंट हुई थी
[म.उ.८१.८८] ।
धातृ III. n. भृगु का पुत्र ।