विश्वावसु II. n. एक देवगंधर्व, जो कश्यप एवं प्राधा के पुत्रों में से एक था । इसने सों से चाक्षुषी विद्या सीथी थी, जो आगे चल कर इसने चित्ररथ गंधर्व को प्रदान की थी
[म. आ. १५८.४०-४२] । गंधर्व एवं अप्सराओं के द्वारा, गंधर्वमधु प्राप्त करने के लिए किए गये पृथ्वीदोहन में इसे वत्स बनाया गया था
[भा. ४.१८.१७] । इंद्र-नमुचि युद्ध में यह इंद्रपक्ष में शामिल था
[भा. ८.११.४१] । याज्ञवल्क्य ऋषि के साथ इसने अध्यात्मविषयक चर्चा की थी, जिस समय इसने उसे चौबीस प्रश्र्न पूछे थे
[म. शां. ३०६.२६-८०] । मेनका अप्सरा से इसे प्रमद्वरा नामक कन्या उत्पन्न हुई थी
[म. आ. ८.६] । इसका चित्रसेन नामक एक अन्य पुत्र भी था । कर्दम प्रजापति की देवहूति से इसका प्रथमदर्शन में ही प्रेम हुआ था
[भा. ३.२०.३९] । ब्राह्मणों के शाप के कारण, पृथ्वीलोक में कबंध राक्षस के रूप में जन्म प्राप्त हुआ था । आगे चल कर, राम दशरथि के द्वारा यह मारा गया, एवं इसे मुक्ति प्राप्त हुई
[म. व. २६३.३३-३८] ।
विश्वावसु III. n. एक गंधर्व, जो श्रावण माह के सूर्य के साथ भ्रमण करता है
[भा. १२.११.३७] ।
विश्वावसु IV. n. एक ऋषि, जो जमदग्नि के शाप के कारण, अपने अन्य भाइयों के साथ यह पाषाण बना था । किंतु आगे चल कर, इसके भाई परशुराम ने इसे शापमुक्त कराया
[म. व. ११६.१७] ; परशुराम देखिये । ५. एक राक्षस, जो मधु राक्षस की पत्नी कुंभीनसी का पिता था । इसकी पत्नी का नाम अनला था, जो माल्यवत् राक्षस की कन्या थी
[वा. रा. उ. ६१] ।
विश्वावसु V. n. एक गंधर्व, जो पुरूरवस् एवं उर्वशी के पुत्रों में से एक था
[ब्रह्मांड. ३.६६.२३] । इसने ही उर्वशी को पृथ्वीलोक से स्वर्गलोक वापस लाया था ।
विश्वावसु VI. n. एक वसु, जो धर्म एवं सुदेवी के पुत्रों में से एक था
[मत्स्य. १७१.४६] ।