संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|अष्टकम्‌|
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरम...

कृष्णाष्टकं - वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरम...

देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.
Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.


वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥१॥
आतसीपुष्पसंकाशम् हारनूपुरशोभितम् रत्नकण्कणकेयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥२॥
कुटिलालकसंयुक्तं पूर्णचंद्रनिभाननम् विलसत्कुण्डलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥३॥
मंदारगन्धसंयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम् बर्हिपिञ्छावचूडाङ्गं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥४॥
उत्फुल्लपद्मपत्राक्षं नीलजीमूतसन्निभम् यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥५॥
रुक्मिणीकेळिसंयुक्तं पीतांबरसुशोभितम् अवाप्ततुलसीगन्धं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥६॥
गोपिकानां कुचद्वन्द्व कुंकुमाङ्कितवक्षसम् श्री निकेतं महेष्वासं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥७॥
श्रीवत्साङ्कं महोरस्कं वनमालाविराजितम् शङ्खचक्रधरं देवं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ॥८॥
कृष्णाष्टकमिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत् । कोटिजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनष्यति ॥
॥ इति कृष्णाष्टकम् ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : November 11, 2016

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP