श्रीरामाष्टकं - सुग्रीवमित्रं परमं पवित्र...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.
Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
सुग्रीवमित्रं परमं पवित्रं सीताकलत्रं नवमेघगात्रम् |
कारुण्य पात्रं शतपत्रनेत्रं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || १ ||
संसारसारं निगमं प्रचारं धर्मावतारं हत भूमि भारम् |
सदा निर्विकारं सुख सिन्धुसारं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || २ ||
लक्ष्मी विलासं जगतां निवासं भूदेव वासं सुख सिन्धु हासम् |
लङ्का विनाशं भवनं प्रकाशं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || ३ ||
मंदारमालं वचने रसालं गुणयं विशलं हत सप्ततालम् |
क्रव्यादकालं सुरलोकपालं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || ४ ||
वेदांत ज्ञानं सकल सतानं हंतारमानं त्रिदशं प्रधानम् |
गजेन्द्रपालं विगता विशालं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || ५ ||
खेलाऽतिभीतं स्वजने पुनीतं स्यामो प्रगीतं वचने अहीतम् |
रागेनगीतं वचने अहीतं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || ६ ||
लीलाशरीरं रणरङ्ग धीरं विश्वै कवीरं रघुवंशधारम् |
गम्भीरनादं जितसर्ववादं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || ७ ||
श्यामाभिरामं नयनाभिरामं गुणाभिरामं वचनाभिरामं |
विश्वप्रणामं कतभक्तिकामं श्रीरामचन्द्रं सततं नमामि || ८ ||
|| इति रामाष्टकं सम्पूर्णम् ||
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Last Updated : July 11, 2016
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