क्रिया कैरव चन्द्रिका - षोडश परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
अथ प्रणवन्यासः
ॐ अं नमः पराय विष्णवे स्वाहाहृदये ।
ॐ उं नमः पराय ब्रह्मणे स्वाहादक्षिणोरसि।
ॐ मं नमः पराय शंकरात्मने स्वाहा वामोरसि।
ॐ नमः पराय त्रिमू र्त्यात्मने वासुदेवाय स्वाहा हृदये।
इति होमः न्यासश्च.
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अथ व्याहृतिन्यासः
ॐ नमः पराय भूलोकाय स्वाहापादयोः।
ॐ नमः पराय भुवर्लोकाय स्वाहाहृदि।
ॐ नमः परायसुवर्लोकाय स्वाहाशिरसि। इति होमः न्यासश्च.।
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अथ अक्षर न्यासः
ॐ अं नमः पराय रसनात्मनेस्वाहा जिह्वायाम्।एवमुत्तरत्र।
ॐ आं नमः पराय मुखात्मनेस्वाहा।
ॐ इं नमः पराय दक्षिणलोचनात्मनेस्वार्हा।
ॐ इं नमः पराय वामलोचनात्मने स्वाहा।
ॐ उं नमः पराय दक्षिणकर्णात्मने स्वाहा।
ॐ ऊं नमः पराय वामकर्णात्मने स्वाहा।
ॐ ऋं नमः परायदक्षिणनासापुटात्मने स्वाहा।
ॐ ॠंनमः पराय वामनासापुटात्मनेस्वाहा।
ॐ लृं नमः परायदक्षिणगण्डात्मने स्वाहा।
ॐ लॄं नमः परायवामगण्डात्मने स्वाहा।
ॐ एं नमः पराय उत्तर दन्तपङ्क्त्यात्मने स्वाहा।
ॐ ऐं नमः पराय अधो दन्तपङ्क्त्यात्मने स्वाहा।
ॐ ओं नमः पराय उत्तरोष्टात्मने स्वाहा।
ॐ औ ं नमः पराय अधरोष्टात्मने स्वाहा।
ॐ अं नमः पराय ललाटात्मने स्वाहा।
ॐ अःनमः पराय ताल्वात्मने स्वाहा।
ओं यं नमः पराय त्वगात्मने स्वाहा।
ॐ रं नमः पराय चक्षुरात्मने स्वाहा।
ॐ लं नमः पराय नासिकात्मने स्वाहा।
ॐ वं नमः पराय दशनात्मने स्वाहा।
ॐ शंनमः परायश्रोत्रात्मने स्वाहा।
ॐ षं नमः पराय उदरात्मने स्वाहा।
ॐ सं नमः पराय कट्यात्मने स्वाहा।
ॐ हं नमः पराय हृदयात्मने स्वाहा।
ॐ लं नमः पराय नाभ्यात्मने स्वाहा।
ॐ क्षं नमः पराय मेहनात्मनेस्वाहा।
ॐ कं नमः पराय अङ्गुष्टाभ्यांस्वाहा।
ॐ खं नमः पराय तर्जनीभ्यां स्वाहा।
ॐ गंनमः पराय मध्यमाभ्यां स्वाहा।
ॐ घं नमः परायअनामिकाभ्यां स्वाहा।
ॐ ङं नमः पराय कनिष्टिकाभ्यां स्वाहा।
ॐ चं नमः पराय दक्षिणोरुमूलात्मने स्वाहा।
ॐ छंनमः पराय दक्षिणोरुमध्यात्मने स्वाहा।
ॐ जं नमः परायदक्षिणजान्वात्मने स्वाहा।
ॐ झं नमः पराय दक्षिण जङ्घात्मने स्वाहा।
ॐ ञं नमः पराय दक्षिणपादात्मने स्वाहा।
ॐ टं नमः पराय वामोरुमूलात्मने स्वाहा।
ॐ ठं नमः पराय वामोरुमध्यात्मने स्वाहा।
ॐ डंनमः पराय वामजान्वात्मने स्वाहा।
ॐ ढं नमः पराय वामजान्वात्मने स्वाहा।
ॐ णं नमः पराय वामपादात्मने स्वाहा।
ॐ तं नमः पराय दक्षिणभुजमूलात्मने स्वाहा।
ॐ थं नमः पराय दक्षिणभुज मध्यात्मने स्वाहा।
ॐ दं नमः पराय दक्षिणभुज सन्ध्यात्मने स्वाहा।
ॐ धंनमः पराय दक्षिणभुज कूर्परात्मने स्वाहा।
ॐ नं नमः पराय दक्षिणकरतलात्मने स्वाहा।
ॐ पं नमः पराय वामभुजमूलात्मने स्वाहा।
ॐ फं नमः पराय वामभुजमध्यात्मने स्वाहा।
ॐ बं नमः पराय वामभुज सन्ध्यात्मने स्वाहा।
ॐ भंनमः पराय वामभुजकूर्परात्मने स्वाहा।
ॐ मं नमः पराय वामकरतलात्मने स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
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अथ नक्षत्र न्यासः
ॐ नमः पराय रोहिण्यात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय मृगशिरात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः पराय आद्र्रात्मनेकेशाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय पुनर्वस्वात्मने ललाटायस्वाहा।
ॐ नमः परायपुष्यात्मने वदनाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय आश्लेषात्मने नासिकायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय मघात्मन्यः दन्तेभ्यःस्वाहा।
ॐ नमः पराय पूर्वफल्गुन्यात्मभ्यांश्रोत्राभ्यांस्वाहा।
ॐ नमः पराय उत्तरफल्गुन्यात्मने दक्षिणभुजायस्वाहा।
ॐ नमः पराय हस्तात्मने वामभुजायस्वाहा।
ॐ नमः पराय चित्रात्मने दक्षिणहस्ताय स्वाहा।
ॐ नमः पराय स्वात्यात्मने वामहस्ताय स्वाहा।
ॐ नमः पराय विशाखात्मनेदक्षिणस्तनाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय अनुराधात्मने वामस्तनायस्वाहा।
ॐ नमः पराय ज्येष्ठात्मने उदराय स्वाहा।
ॐ नमः पराय मूलात्मिन्यै कट्यैस्वाहा।
ॐ नमः पराय पूर्वाषाढात्मने मेहनायस्वाहा॥
ओं नमः पराय उत्तराषाढात्मनेवृषणाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय श्रवणात्मने पायवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय धनिष्टात्मने दक्षिणोरवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय शतभिषगात्मने वामोरवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय पूर्वभाद्रात्मिन्यै दक्षिणजङ्कायैस्वाहा।
ॐ नमः पराय उत्तरभाद्रात्मिन्यै वामजङ्कायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय रेवत्यात्मने दक्षिणपादायस्वाहा।
ॐ नमः परायअश्विन्यात्मने वामपादाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय भरण्यात्मने दक्षिणपाश्र्वायस्वाहा।
ॐ नमः पराय कृत्तिकात्मने वामपाश्र्वाय स्वाहा।इति होमः न्यासश्च॥
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अथ ग्रहन्यासः
ॐ नमः पराय सूर्यात्मने दक्षिण नेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः पराय चन्द्रात्मने वामनेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः पराय अहंकारात्मने उदराय स्वाहा।
ॐ नमः पराय बुधात्मिन्यै बुद्धये स्वाहा।
ॐ नमः पराय बृहस्पत्यात्मने वागिन्द्रियाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय शुक्रात्मभ्यःइन्द्रियेभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय शनैश्चरात्मने ललाटाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय राह्वात्मने पादाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय केत्वात्मने केशाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय ध्रुवात्मिन्यै नाभ्यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय सप्तष्र्यात्मभ्यः पादादिसर्वगात्रेभ्यः स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
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कालन्यासः
ओं नमः परायशरीरात्मने शरीराय स्वाहा।
ॐ नमः परायचैत्रात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः परायवैशाखात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः परायज्येष्ठात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय आषाडात्मनेदक्षिणस्तनाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय श्रावणात्मने वामस्तनाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय भाद्रपदात्मने उदराय स्वाहा
ॐ नमः पराय आश्वयुजात्मिन्यै कट्यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय कार्तिकात्मने दक्षिणोरवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय मार्गशीर्षात्मने वामोरवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय पौषात्मिन्यै दक्षिणजङ्घायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय मखात्मिन्यै वामजङ्घायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय फाल्गुनात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय वत्सरात्मने वाममुख्यबाहवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय पर्वात्मभ्यः सर्वपर्वभ्यःस्वाहा।
ॐ नमः परायसर्वाङ्गस्वरूपेभ्यः ऋतुभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः परायषष्ट्युत्तरात्रात्मभ्यःसर्वसन्धिभ्यः स्वाहा।
ॐ नमःपराय त्रुटि लव कला काष्ठा क्षण निमेषात्मभ्यः
रोमभ्यःस्वाहा।
ॐ नमः परायकृतयुगात्मनेमुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय त्रेतायुगात्मने हृदयायस्वाहा।
ॐ नमः परायद्वापरयुगात्मिन्यै कट्यैस्वाहा।
ॐ नमः परायकलियुगात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायस्वायंभुव मन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय स्वरोचिषमन्वन्तरात्मनेस्वाहा।
ॐ नमः परायउत्तममन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायतामसमन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायरैवतमन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय चाक्षुषमन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय वैवस्वतमन्वन्तरात्मने स्वाहा।दक्षिणभुजे।
ॐ नमः पराय सूर्यमन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायदक्ष मन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायब्रह्ममन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायधर्म मन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायरुद्रमन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय सावर्णिमन्वन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायरौद्रभूतिमन्वन्तरात्मने स्वाहा।वामभुजे।
ॐ नमः पराय प्रथमपरार्धात्मिन्यैदक्षिणजङ्कायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय द्वितीयपरार्धात्मिन्यै वामजङ्कायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय महाकल्पात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः पराय उत्तरायणात्मने दक्षिण पादाय स्वाहा।
ॐ नमः परायदक्षिणायनात्मने वामपादाय स्वाहा।तत्तत्स्थानेषु।
इति होमः न्यासश्च॥
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अथ ब्राह्मणादि वर्णन्यासः-
ओं नमः परायब्राह्मणात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय क्षत्रियात्मभ्यां बाहुभ्यांस्वाहा।
ॐ नमः परायवैश्यात्मभ्यां ऊरुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायशूद्रात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायसंकरात्मभ्यःपादाङ्गुलीभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय गवात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय अजाविकात्मभ्यां बाहुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय अजाविकात्मभ्यां ऊरुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायग्रामारण्यपश्वात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा। एवं होमः न्यासश्च॥
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अथ तोयन्यासः
ओं नमः पराय मेघात्मभ्यः केशेभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः परायकूपात्मने रोमकूपाय स्वाहा।
ॐ नमः परायवाप्यात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायनिर्झरात्मभ्यां जङ्काभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायनद्यात्मभ्यः सर्वावयवेभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय समुद्रात्मिन्यै कुक्ष्यै स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
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अथ निगमन्यासः
ॐ नमः परायऋग्वेदात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः पराय यजुर्वेदात्मने दक्षिणभुजायस्वाहा।
ॐ नमः पराय सामवेदात्मने वामभुजाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय सर्वोपनिषदात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय इतिहासात्मिन्यै दक्षिणजङ्कायै स्वाहा।
ॐ नमः परायपुराणात्मिन्यै वामजङ्कायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय अथर्वा‘रि◌सात्मिन्यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय कल्पसूत्रात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायव्याकरणीत्मने वक्त्राय स्वाहा।
ॐ नमः परायतर्कशास्त्रात्मने कण्ठाय स्वाहा।
ॐ नमः परायमीमांसानिरुक्तात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय छन्द आत्मने दक्षिण नेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः परायज्योतिषात्मने वामनेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः पराय शिक्षात्मिन्यै कुक्ष्यै स्वाहा।
ॐ नमः परायगारुडतन्त्रात्मने दक्षिणकर्णात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय भूततन्त्रात्मने वामकर्णात्मने स्वाहा।
ॐ नमः परायधनुर्वेदात्मने दक्षिणहस्ताय स्वाहा।
ॐ नमः पराय आयुर्वेदात्मने वामहस्ताय स्वाहा।
ॐ नमः पराययोगशास्त्रात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः परायनीतिशास्त्रात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
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इति होमः न्यासश्च।
अथ देवता न्यासः
ॐ नमः परायब्रह्मणे शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः परायसरस्वत्यात्मिकायै जिह्वायै स्वाहा।
ॐ नमः परायइन्द्रात्मने दक्षिणभुजाय स्वाहा।
ॐ नमः परायमहाबलात्मने वामभुजाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय विश्वकर्मात्मने दक्षिणस्तनाय स्वाहा।
ॐ नमः परायप्रह्लादात्मने वामस्तनाय स्वाहा।
ॐ नमः परायनारदात्मिन्यै दक्षिणकुक्ष्यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय अनन्ताद्यात्मिन्यै वामकुक्ष्यैस्वाहा।
ॐ नमः परायवरुणात्मभ्यःअस्थिभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय पित्रात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायविश्वेदेवाभ्यां ऊरुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायऋष्यात्मभ्यां जानुभ्यां स्वाहा।
ओं नमः पराय यक्षात्मभ्यांजङ्काभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय राक्षसात्मभ्यां गुल्फाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायविद्याधरात्मिन्यै पाष्र्णये स्वाहा।
ॐ नमः परायनवग्रहात्मने पादतलाय स्वाहा।
ॐ नमः परायपूतनाजृंभकात्मकेभ्यः नखेभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय सुभ्रह्मण्यात्मने दक्षिणकटिपाश्र्वायस्वाहा।
ॐ नमः पराय गन्धर्वात्मने ओष्टाय स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
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अथ वैराजन्यासः
ॐ नमः परायस्वर्लोकात्मने मस्तकाय स्वाहा।
ॐ नमः परायसूर्यात्मनेदक्षिणनेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः परायचन्द्रात्मने वामनेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः परायवाय्वात्मिन्यै नासिकायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय दिगात्मभ्यां बाहुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायऋष्यात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः परायव्योमात्मने वपुषे स्वाहा।
ॐ नमः पराय देवात्मने अन्तरात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय मेघात्मभ्यःकेशेभ्यःस्वाहा।
ॐ नमः परायनक्षत्रात्मकेभ्यः भूषणेभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय अग्न्यात्मने मुखाय स्वा हा।
ओं नमः परायसरस्वत्यात्मिन्यै वाचे स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
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अथ क्रतुन्यासः
ॐ नमः पराय अश्वमेधात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः पराय नरमेधात्मने ललाटाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय राजसूयात्मने मुखायस्वाहा।
ॐ नमः पराय गोसवात्मने कण्ठाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय एकादशात्मिन्यै नाभ्यैस्वाहा।
ओं नमः पराय अग्निष्टोमात्मने लिङ्गाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय अतिरात्रात्मने वृषणाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय आप्तोर्यामात्मभ्यां ऊरुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय षोडशाहात्मभ्यां जानुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय उक्थ्यस्वरूपायै दक्षिणजंघायै स्वाहा।
ॐ नमः पराय वाजपेयस्वरूपायै वामजंघा यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय चातुर्मास्यात्मने बाहवे स्वाहा।
ॐ नमः पराय सौत्रामण्यात्मने हस्ताय स्वाहा।
ॐ नमः पराय पश्विष्ट्यात्मभ्यः अङ्गुलीभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय दर्शात्मने दक्षिणनेत्राय स्वाहा।
ॐ नमः पराय पौर्णमासात्मने वामनेत्राय स्वाहा।
ॐ नमःपराय इष्टिदर्भयूपस्वाहाकारवषट्कारात्मभ्यां स्तनाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः परायपञ्चमहायज्ञात्मकेभ्यः अङ्गुलीभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय दक्षिणात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय स्तोमात्मकेभ्यःकेशेभ्यः स्वाहा।
ॐ नमः पराय आहवनीयात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय गार्हपत्यात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय दक्षिणाग्न्यात्मिन्यै नाभ्यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय आवसथ्यात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय सभ्यात्मने हृदयायस्वाहा।
ॐ नमः पराय प्रवग्र्यात्मकेभ्यः भूषणेभ्यः स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
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अथ गुणन्यासः
ओं नमः पराय सत्वगुणात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः पराय रजोगुणात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय तमोगुणात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।इति होमः न्यासश्च।
अथ मूर्ति न्यासः
ओं नमः पराय मत्स्यमूर्त्यात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ नमः पराय कूर्ममूर्त्यात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय वराहमूर्त्यात्मभ्यां जंघाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय नृसिह्म मू र्त्यात्मने ललाटाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय वामनमूर्त्यात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय भार्गवरामात्मनेहृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय कार्तवीर्यात्मभ्यां कराभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय दाशरथिरामात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय बलरामात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय कृष्णात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय बुद्धात्मने गुह्याय स्वाहा।
ॐ नमः पराय कल्क्यात्मभ्यां जानुभ्यां स्वाहा।इति होमः न्यासश्च।
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अथ शक्तिन्यासः
ओं नमःपराय लक्ष्म्यात्मने ललाटाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय सरस्वत्यात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय रत्यात्मने स्वाहा।
ॐ नमः पराय प्रीत्यात्मने कर्णाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय की र्त्यात्मने चक्षुषे स्वाहा।
ॐ नमः पराय शान्त्यात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय तुष्ट्यात्मने उदराय स्वाहा।
ॐ नमः पराय पुष्ट्यात्मभ्यः सर्वगात्रेभ्यः स्वाहा।इति होमः न्यासश्च।
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अथ षड्गुणन्यासः
ओं नमः पराय ज्ञानाय हृदयायनमः स्वाहा।
ॐ नमः पराय ऐश्वर्याय शिरसेस्वाहा स्वाहा।
ॐ नमः पराय शक्त्यैशिखायै वषट् स्वाहा।
ॐ नमः पराय बलाय कवचाय हुं स्वाहा।
ॐ नमःपराय तेजसे नेत्राभ्यां वौषट् स्वाहा।
ॐ नमः पराय वीर्याय अस्त्रायफट् स्वाहा।इति होमः न्यासश्च।
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अथ लोकन्यासः
ओं नमः पराय अतलात्मभ्यां पादतलाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय वितलात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय सुतलात्मभ्यां गुल्फाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय नितलात्मभ्यां जंघाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय महातलात्मभ्यां जानुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय रसातलात्मभ्यां ऊरुभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय तलातलात्मिन्यै कट्यै स्वाहा।
ॐ नमः पराय भूलोकात्मभ्यां पादाभ्यां स्वाहा।
ॐ नमः पराय भुवर्लोकात्मने मेहनाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय स्वर्लोकात्मने उदराय स्वाहा।
ॐ नमः पराय महर्लोकात्मने हृदयाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय जनोलोकात्मने कण्ठाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय तपोलोकात्मने मुखाय स्वाहा।
ॐ नमः पराय सत्यलोकात्मने शिरसे स्वाहा। इति होमः न्यासश्च।
जंघमेषु बिंबेषु षोडशन्यासं न कुर्यात्।
इति क्रियाकैरवचन्द्रिकायां षोडशन्यासविधिर्नाम षोडशपरिच्छेदः
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References : N/A
Last Updated : January 25, 2021
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