निम्बसप्तमी ( भविष्योत्तर ) -
वैशाख शुक्ल सप्तमीको स्त्रानादि नित्यकर्म करके अक्रोध और जितेन्द्रिय रहकर नीमके पत्ते ग्रहण करे और
' निम्बपल्लव भद्रं ते सुभद्रं तेऽस्तु वै सदा । ममापि कुरु भद्रं वै प्राशनाद रोगहा भव ॥'
इस मन्त्रसे एक - एक पत्ता खाकर पृथ्वीपर शयन करे तथा अष्टमीको सूर्यनारायणका पूजन करके ब्राह्मणोंको भोजन करावे । उसके बाद स्वयं भोजन करे ।