लेल्योजी लेल्योजी थे, लेल्यो हरि को नाम ॥
मैं व्योपारी राम-नाम का, प्रेमनगर है गाम ॥टेर॥
मैं प्रेमनगर से आया, हरि नाम का सौदा ल्याया ॥
च्यार खूँट में चली दलाली, आढ़त चारुँ धाम ॥१॥ मैं....
सोना-चाँदी कछु नहीं लेता, माल मोफत में ऐसे ही देता ।
नाम हरि अनमोल रतन है, कौड़ी लगे न दाम ॥२॥ मैं ....
बाट तराजू कछु नहीं भाई, मोलतोल उसका कछु नाहीं ।
करल्यो सौदा सत-संगत का, टोटे का नहीं काम ॥३॥ मैं ....
राम-नामका खुल्या खजान, कूद पड्या नर चतुर सुजान ।
सुगरा-सेन तुरत पहिचाने , नुगरे का नहीं काम ॥४॥ मैं ....
पाँचु की परतीत न कीजे, नाम हरि का निर्भय लीजे ।
मगन होय हरिके गुन गावो, भजल्यो सीताराम ॥५॥ मैं ....
सस्ता माल नफा है भारी, सहस्त्रगुनी देव साहूकारी ।
करल्यो सुरता राम भजन में, मिल जाय राधेश्याम ॥६॥ मैं....
नाम हरि अनमोल रतन है, सब धन से यह ऊँचा धन है ।
कह गिरधारीलाल और धन, मिथ्या जान तमाम ॥७॥ मैं ....