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चाहता जो परम सुख तूँ ...

नाम महिमा - चाहता जो परम सुख तूँ ...

भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।


चाहता जो परम सुख तूँ, जाप कर हरिनाम का ।

परम पावन परम सुन्दर, परम मंगलधाम का ॥

लिया जिसने है कभी, हरिमान भय-भ्रम-भूलसे ।

तर गया वह भी तुरत, बन्धन कटे जड़मूल से ॥

हैं सभी पातक पुराने, घास सूखे के समान ।

भस्म करनेको उन्हें, हरिनाम है पावक महान ॥

सूर्य उगते ही अँधेरा, नाश होता है यथा ।

सभी अघ हैं नष्ट होते, नाम की स्मृति से तथा ॥

जाप करते जो चतुर नर, सावधानी से सदा ।

वे न बँधते भूकलर, यम-पाश दारुण में कदा ॥

बात करते, काम करते, बैठते उठते समय ।

राह चलते, नाम लेते, विचरते हैं वे अभय ॥

साथ मिलकर प्रेम से, हरिनाम करते गान जो ।

मुक्त होते मोह से, कर प्रेम-अमृत-पान सो ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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