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गार्गी
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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गार्गी
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गर्गी
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वाचक्नवी
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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गाङ्गी
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गार्गीपुत्रकायणि
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गार्गिक
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गार्गीब्राह्मण
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गार्गीपुत्र
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गार्गेय
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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अहीनवादी
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गार्ग्यायणी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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वाचक्रवी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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गार्ग
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गार्वी
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उग्रपुत्र
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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वचक्नु
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हारीतसंहिता - परिशिष्टाध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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जन्मभूमीचे गीत
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने. विष्णुदासांनी याला ’कीर्तन-मुक्ताहार’ असे नाव दिले होते.
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कल्पान्तरी स्त्रियांची मुंज
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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विष्णुधर्माः - अध्याय ९८
विष्णुधर्माः
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १२
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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स्फुट पदें ३६ ते ४०
रंगनाथ स्वामींचा ( निगडीकर ) जन्म शके १५३४ मध्ये मार्गशीर्ष शु. १० मी रविवारीं झाला.
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श्रीनामदेव महाराजांचें चरित्र ४
श्रीसद्गुरू दासगणु महाराजांची कीर्तनाख्यानें हीं अत्यंत वैशिष्ट्यपूर्ण, रसाळ आणि विविध काव्यगुणांनी संपन्न असून श्राव्य काव्याचा तो एक उत्कृष्ट नमुना आहे.
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गर्ग
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श्रीसीतासहस्त्रनामस्तोत्रम्
श्रीसीतासहस्त्रनामस्तोत्रम् आयुष्यातील वनवास संपतो.
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पूर्वार्ध - अभंग ५०१ ते ६००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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श्री सीता सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ५
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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संकेत कोश - संख्या ८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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याज्ञवल्क्य वाजसनेय
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सारस्वत चम्पू - सर्ग २
सारस्वत चम्पू
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पाद २ - खण्ड १४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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स्त्रीशिक्षा - प्रकरण १ लें
श्री.प.प.वासुदेवानन्दसरस्वती टेंभेस्वामी यांनी स्त्रीयांना अतिशय मार्मिक उपदेश केला आहे.
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पाद ४ - खण्ड ३०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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श्रीजालंदरनाथ चरित्र २
श्रीसद्गुरू दासगणु महाराजांची कीर्तनाख्यानें हीं अत्यंत वैशिष्ट्यपूर्ण, रसाळ आणि विविध काव्यगुणांनी संपन्न असून श्राव्य काव्याचा तो एक उत्कृष्ट नमुना आहे.
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श्रीकेशवस्वामी - भाग २८
केशवस्वामींनी मनोभावेंकरून आपल्या कार्यातून हिंदू जनतेस त्यांच्या ठिकाणी आपला धर्म, आपला देश, आपली संस्कृती, आपली भाषा इत्यादिकांसंबंधी जागॄत केले.
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पाद २ - खण्ड ८४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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८
Meanings: 238; in Dictionaries: 5
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