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अष्टाध्यायी - अध्याय १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
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अध्याय १ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
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अध्याय १ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय १ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय १ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ५
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ६
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ७
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ८
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
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व्याकरणः
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई. पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. लघुसिद्धान्तकौमुदी विद्वन्मान्य ‘वरदराज’ यांची रचना आहे. लघुसिद्धान्तकौमुदी अत्यन्त संक्षिप्त व्याकरण-पुस्तक आहे. या पुस्तकात पाणिनीच्या १२७२ सूत्रांची उदाहरणासहित व्याख्या केली गेली आहे.A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.Laghu Siddhanta Kaumudi is a text in which Panini Sutras are so rearranged as to bring together the relevant sutras bearing on a particular topic.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग २
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ३
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ४
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ५
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ६
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ७
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ८
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ९
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १०
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ११
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १२
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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अध्याय १ - पाद १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड २
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ५
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ६
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ७
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ८
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ९
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड १०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय १ - पाद २
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद २ - खण्ड ११
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद २ - खण्ड १२
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद २ - खण्ड १३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद २ - खण्ड १४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय १ - पाद ३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ३ - खण्ड १५
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ३ - खण्ड १६
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ३ - खण्ड १७
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय १ - पाद ४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड १८
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड १९
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड २०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड २१
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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व्याकरणमहाभाष्य - अध्याय १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय २ - पाद १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड २२
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड २३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड २४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय २ - पाद २
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद २ - खण्ड २५
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद २ - खण्ड २६
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय २ - पाद ३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ३ - खण्ड २७
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ३ - खण्ड २८
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय २ - पाद ४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड २९
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद ४ - खण्ड ३०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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व्याकरणमहाभाष्य - अध्याय २
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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अध्याय ३ - पाद १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ३१
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ३२
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ३३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ३४
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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