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altar poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 4.234744 | Lang: NA
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poem
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 4.234744 | Lang: NA
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pattern poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.720293 | Lang: NA
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abstract poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.019268 | Lang: NA
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे. This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
Type: INDEX | Rank: 1.522905 | Lang: NA
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे. This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
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epic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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heroic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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pastoral poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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lyric poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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meditative poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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didactic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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private poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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prose poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.262043 | Lang: NA
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कवी त्रिलोचन - मधुमालती
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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काव्यालङ्कारः - चतुर्थः परिच्छेदः
काव्यालङ्कारः
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विष्णु महाराज सोमण यांचीं पदें - पदे १३ ते २९
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
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श्री बिंदुमाधवाचें पद - पद ३०५ वें
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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स्वप्नाची समाप्ति
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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पिंड ब्रह्मांड निवारण - त्रितिय पद
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
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मंदार मंजिरी - शंकातंक
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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कवी त्रिलोचन - ऐसा ही था
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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तिङन्त काण्ड: - सर्ग १९
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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भट्टिकाव्यं
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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जालियनवाला बाग
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - तृतीय प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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शेवटचें पद
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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त्रिलोचन - परिचय
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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गवळण काल्यांतील पदें - पदे ३९६ ते ४००
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री रामाचीं पदें - पदे ४१ ते ५०
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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तिङन्त काण्ड: - सर्ग १७
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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मंदार मंजिरी - वेलावेदन
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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तिङन्त काण्ड: - सर्ग २१
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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कवी त्रिलोचन - अनुराग
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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तिङन्त काण्ड: - सर्ग २२
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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कवी त्रिलोचन - रजनीगंधा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - विपर्याय
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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पृथ्वीचे प्रेमगीत
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - पंचम प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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भट्टिकाव्यं - तिङन्त काण्ड:
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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कृष्णाजी नारायण आठल्ये
मराठी शब्दसंपत्ति
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श्री विजयादुर्गेचें पद - पद ३०७ वें
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कवी त्रिलोचन - हृदय की लिपि
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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मंदार मंजिरी - पापी माणसाची कृत्यें
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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गवळण काल्यांतील पदें - पदे ४०१ ते ४०५
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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उपदेशपर व इतर पदे - पदे ३६४ ते ३७०
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कवी त्रिलोचन - जो है सो है
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - वसंत
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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मंदार मंजिरी - मंदार मंजिरी
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कांही निवडक काव्ये.
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केशवकुमार - धन्य ! धन्य ! आज धरा धवलर...
मराठी शब्दसंपत्ति
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