साहित्य में, वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते हैं और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं
Ex. रति, हास्य, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा, विस्मय आदि स्थायीभाव भरत के नाट्यशास्त्र में हैं ।
ONTOLOGY:
अमूर्त (Abstract) ➜ निर्जीव (Inanimate) ➜ संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
स्थायी-भाव स्थायी भाव
Wordnet:
kanಸ್ತಾಯಿಭಾವ
kokस्थायीभाव
marस्थायीभाव
sanस्थायिभावः