वृष्णि n. (सो. क्रोष्टु.) कुंति राजा के पुत्र धृष्ट राजा का नामान्तर (धृष्ट ४. देखिये) ।
वृष्णि II. n. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो सात्वत भजमान राजा का पुत्र था । इसे क्रोष्टु नामान्तर भी प्राप्त था
[ह. वं. १.३४] ;
[ब्रह्म. १४.१, १५.३१] । कृष्ण के साथ इसका स्यमंतक मणि के संबंध में संघर्ष हुआ था, जिस समय उस मणि की चोरी कृष्ण के द्वारा किये जाने का शक इसके मन में पैदा हुआ था । किन्तु श्रीकृष्ण ने अपने को निर्दोष साबित किया
[ब्रह्मांड. ३. ७१.१] । यह क्रोष्टु वंश का सुविख्यात राजा था, एवं सुविख्यात वृष्णि वंश इसी से ही प्रारंभ होता है
[वायु. ९५,१४] ;
[म. आ. २११.१-२, ५, ८] ।
वृष्णि II. n. इसकी गांधारी एवं माद्री नामक दो पत्नीयाँ थी, जिनमें से माद्री से इसे युजाजित् आदि पाँच पुत्र उत्पन्न हुए थे
[मत्स्य. ४४.४८] ।
वृष्णि II. n. वृष्णि राजा से उत्पन्न यादवों को ‘वृष्णिवंशीय यादव’ कहा जाता है, जो द्वारवती (द्वारका) में रहते थे । इसी वंश में कृष्ण एवं बलराम उत्पन्न हुए थे
[भा. १.३.२३, ११.११] । इन लोगों का राजा कृष्ण होते हुए भी उसका ‘परमात्मन् स्वरूप’ ये लोग न पहचान सके
[भा. १.९.१८] । महाभारत में इन लोगों के राजा का नाम उग्रसेन दिया गया है
[म. आ. २११.८] । इस वंश में उत्पन्न लोग ‘व्रात्य’ (हीन जाति के) थे, ऐसा निर्देश महाभारत में प्राप्त है
[म. द्रो. ११८.१५] । प्रभास क्षेत्र में हुए यादवी-युद्ध में इस वंश के लोगों का संपूर्ण संहार हुआ। महाभारत में इन लोगों का निर्देश ‘अंधक’ एवं ‘भोज’ राजाओं के साथ मिलता है । ये तीनों वंश एक ही यादव वंश की उपशाखाएँ थी
[म. आ. २११.२, २१२.१४] । महाभारत में इस वंश में उत्पन्न महारथि, महारथ, एवं मंत्रिपुंगवों की सविस्तृत जानकारी प्राप्त हैः-- (१) महारथ---कृतवर्मन्, अनाधृष्टि, समीक, समितिंजय, कह्व (कंस), शंकु, निदान्त
[म. स. १३. ५७-५८] । (२) महारथ---प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, भानु, अकूर, सारण, निशठ, गद
[म. स. १३.१५९*] । (३) रथ---आहुक, चारुदेष्ण, चक्रदेव, सात्यकि, कृष्ण, रौहिणेय (बलराम), सांब, शौरि
[म. स. १३.५६] । (४) मंत्रिपुंगव---वितद्रु, झल्लि, बभ्रु, उद्धव, विडूरथ, वसुदेव एवं उग्रसेन
[म. स. १३.१५९*] ।
वृष्णि III. n. (सो. वृष्णि.) वृष्णिवंशीय पृष्णि राजा का नामान्तर (पुष्णि ४. देखिये) ।
वृष्णि IV. n. (सो. कुकुर.) कुकुरवंशीय धृष्ट राजा का नामान्तर (धृष्ट. 5. देखिये) । इसके कपोतवर्मन् एवं धृति नामक दो पुत्र थे
[मत्स्य. ४४.६२] ।
वृष्णि V. n. (सो. सह.) एक राजा, जो मधु राजा के सौ पुत्रों में से एक था । यह एक अत्यंत सुविख्यात राजा था, जिसके कारण इसका वंश सुविख्यात हुआ।