श्रीपूर्णानंद चरित्र - सदानन्दावताराष्टकम्

आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .


॥ॐतत्सत्परयोग शांभवि शिवः सामाधि कल्पावधेः ॥ श्रीशब्रम्ह सुरेंद्र सदृषि सुरैः क्षेमाय संप्रार्थिताः ॥

शिवसंकल्प ऋतः शिवांशु प्रवहदुर्ध्वांबुगांगोद्वहे ॥ अवतीर्णः परम्हंसबालक सदानन्दावतारं गुरोः ॥१॥

दिव्यः शंखनिनादतों हरहरेत्याकाश वाण्युच्चरत ॥ भद्रंदिव्यवतार सदृत वरं सत्यंशिवं सुंदरम ॥

गच्छेत्सर्वऽ विमुक्त क्षेत्र पुरिश्री काशीं मनोहारिणीं ॥ श्रुत्याः संस्तुत सत्र रौद्रिय विधेरौपासना याजुषी ॥२॥

अवतीर्ण हरबिंबयत कलिकृते राकाश वाण्युध्द्रतं ॥ सांष्टांगैः प्रणमनगिरेः श्रीसकलै र्वाराणशींप्रापतः ॥

आज्ञालंकृत कुंडमंडप महत्पीठोपपीठानरचन ॥ द्वारादीं शुभतोरणानि विविधैः कुंभान्पताकांविधेः ॥३॥

अग्नींद्रादि सुरर्षि दिक्पतिगृहैः साद्यंत शिवपार्षदैः ॥ ब्रम्हज्ञैः कृतुरंगिरादि सकलै र्जाबालि सनकादिकैः ॥

स्थानालंकृत वामदेव विविधै र्भूदेव ऋत्विग्वरैः ॥ घृतधारान्वह हव्यकव्य सऋचैः पूर्णांहुतिं पूरिताः ॥४॥

श्रेष्ठादि नृषि याजनीय प्रवरान्नर्घ्यादि गंगार्चनम ॥ प्रावाहेप्रवहच्छिषोः स्वियकरै र्दत्तात्रयेनोधृतम ॥

सोमर्षीन प्रददत परात्पर महोमवतार शिवदःशिवम ॥ भद्राशिर्वनांभिषिक्त सकलैर्विश्वश्रियैः पांसवम ॥५॥

कुटिलैः कुतंलदिप्तसुंदर शिशोर्भालाक्ष शशिचिन्हिंतम ॥ अर्धोन्मीलित शांतस्वांतरतमं शितिकंठकुंडलमहिम ॥

गंगावीचि विलोल पुष्प शयनात दुत्तान प्रियदर्शनम ॥ साक्षाच्छांभवपासवं भुविमहोः सकलार्थ यशदःशिवम ॥६॥

दत्तात्रेय सुभस्मगंधतिलकैः सिध्दाक्षतै राशिषन ॥ द्वापारान्त दुरौघकाल सुजनोध्दारः कलेःस्वंवहन ॥

व्यामोहावृत व्दैतभाव निवृते र्विज्ञानदः शाश्वतम ॥ सिध्दान्तांन्वहचिंतनांतरगुहा त्सामाधि संजीवनम ॥७॥

श्रेष्टौघै र्हरयाग पूजन क्षणं सकलार्थ ऋतमर्पितम ॥ ब्रम्हाविष्णु सुरेंद्र सदृषिवरै र्वरदाशिषैर्वाचितम ॥

साष्टांगः प्रणमन क्षमस्व निखिलै र्न्युनाति कार्यार्थये ॥ सोमर्षीन्यभिदादितः कृतुविधेः सर्वेषु संप्रार्थिताः ॥८॥

अवतारं गुरुदेवमद्वय भुवौस्सान्द चरितामृतात ॥ श्रीमद्देशिक श्रीधरीकृतमहट्टीका पुराणोत्तमात ॥

तच्छिष्यो यतिमाधवेंद्र मुनिना सामाधि गुरुदर्शनात ॥ श्रीचरणान्वहसंस्तुतं स्तुतिरियमवधूतचिंतनऋतम ॥९॥

गुरोरष्टकं पुण्यमपूर्व गुरुभक्तिदम ॥ न्युनाधिक क्षमध्वंतं विद्वद भक्तानुभाविनाः ॥१०॥

इति श्रीमहनीय श्रीधरी टीकाकार करकमल संजात ॥ यतिमाधवेन्द्रेण विरचितानन्द चरितामृतोधृताद्यायाथार्थानुस्त्रतेः ॥

श्रीसदानन्दावताराष्टकं संपूर्णम ॥ ॐनमो गुरुभ्यः ॥

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Last Updated : September 27, 2010

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