हिंदुस्थानीं पदें - पदे ६ ते १०
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
पद ६
सद्गुरु साचा पाया बे । करमका लिखा मिटाया बे ॥धृ॥
चिदंबरका रतन बिच्छितर गुरुनें मुजे दिखाया ।
उसका तेज पडा है भरपुर भव दालिंदर खोगा ॥१॥
संचितकी धुलधानी कीइ क्रियमानकू तोडा ।
प्रारब्धोकी पेड उखाडी दूम काटके छोडा ॥२॥
पापपुन्नको धोकर डाला आलख बनाया आसन ।
श्रीरघुनाथ गुरुका बछेडा उपर चढा निरंजन ॥३॥
पद ७
गुरुनें बात सुनाया बे । मजकूं फकिर बनाया बे ॥धृ॥
निराकार सिरताज बनाया निर्गुण उजळी सैली ।
चिदंबरकी कफनी डाली चिन्मय हातमो झोळी ॥१॥
आतमग्यानका लिया कटोरा घरघर टुका मागे ।
काम क्रोधकी धुनी जलाइ अनुहात डंका बाजे ॥२॥
औट हातका लीया पिंजरा सोहं पोपट बोले ।
निरंजन रघुनाथ सद्गुरु आंदरका पट खोले ॥३॥
पद ८
गुरुने अमल पिलायावे । मुजकू गरक सुलाया ने ॥धृ॥
अगमनीगमकी बुट्टी गैरी गुरुबचनका पानी ।
मन कुंडेमे खूब घोटके आतमग्यानसे छानी ॥१॥
नयन अगोचरी मुद्रा चढके उलटा माहाल देखा ।
उसकेभीतर मुरत पैटि रूप नहिं है रेखा ॥२॥
निरंजन रघुनाथ सद्गुरु एकहि बार मिलाया ।
मेरा चेहरा मुजे दिखाकर अपने आप भुलाया ॥३॥
पद ९
हम तो घरबारी । करते बडी फकेरी ॥धृ॥
शांति क्षमा और दय्या, तीन्हो औरत हामने किय्या ॥१॥
भावभगत मर्यादा लडका करते पैदा ॥२॥
आशा तृष्णा मारी, अहंकार निकाला बैरी ॥३॥
नीरंजन संसारी, किया रघुबिरगुरू कैवारी ॥४॥
पद १०
ग्यानी कैकर भूला बे । चिनले आंदरवाला बे ॥धृ॥
ब्रह्म न खत्रि बैश मर्हेटा हिंदु और मुसल्ला ।
सबके आंदर होके पैटा एक चलानेवाला ॥१॥
हाथी घोडा चिडिया मुंगी पैदा खलकत सारी ।
एक हुकुमसे चलती है सब काया न्यारी न्यारी ॥२॥
आच्छा माहाल बना उंचा नीच्या तारतखाना ।
सबके आंतर आकाश पैटा खालि नहि ठिकाना ॥३॥
नीरंजन रघुनाथ हुकुमसे आंदरवाला देखे ।
स्थावर जंगम उच्यानीच्या सबी बराबर लेखे ॥४॥
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Last Updated : November 25, 2016
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