हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|मार्गशीर्षके व्रत|मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत| यमादर्शन मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत शुक्लैकादशी व्यञ्जनद्वादशी द्वादशादित्यव्रत जनार्दनपूजा अनङ्गत्रयोदशी यमादर्शन पिशाचमोचनयात्रा शिवचतुर्दशीव्रत शुक्लैकादशी व्यञ्जनद्वादशी द्वादशादित्यव्रत कृच्छ्रचतुर्थी वरचतुर्थी नागपञ्चमी श्रीपञ्चमी त्रितयसप्तमी मित्रसप्तमी भद्रासप्तमी निक्षुभार्कचतुष्ट्य नन्दिनी पदार्थदशमी धर्मत्रयव्रत दशादित्यव्रत मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - यमादर्शन व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivalmargashirshavratमहिनामार्गशीर्षव्रतसण यमादर्शन Translation - भाषांतर यमादर्शन ( स्कन्दपुराण ) - यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्लकी जिस त्रयोदशीको क्रूर ( सूर्य, भौम और शनि ) वार न हों और सौम्य ( सोम, बुध, बृहस्पति एवं शुक्र ) वार हों उसी त्रयोदशीसे आरम्भ करके वर्षपर्यन्त करे । इसका विधान स्वयं यमने ही इस प्रकार प्रकाशित किया है कि उस दिन यम नामके ' काल, दण्डधर, अन्तक, शीर्णपाद, कङ्क, हरि और वैवस्वत ' जैसे नामोंवाले आठ - पाँच ( तेरह ) ब्राह्मणोंको पवित्र स्थानमें अलग - अलग पूर्वाभिमुख बैठाकर मस्तक आदि अङ्गोमें तैल - मर्दन करके कवोष्ण ( साधारण गर्म ) जलसे स्त्रान कराये और सुगन्धयुक्त गन्धादिसे चर्चित करके दुसरे स्थानमें उसी प्रकार पूर्वाभिमुख बैठकर गुड़के सुस्त्रिग्ध और सुस्वादु मालपूओंका यथारुचि भोजन कराये । उसके पीछे आचमन करवाकर ताँबके तेरह पात्रोंमें सोलह - सोलह सेर तिल और चावल भरकर ' लोकपालोऽघिना क्रूरो रौद्रो घोराननः शिवः । मम प्रसादात् सुमुखो ददात्वभयदक्षिणाम् ॥' से प्रणाम और प्रार्थना करके दक्षिणासहित उक्त तेरह पात्र उनके अर्पण करे तो इस व्रतके प्रभावसे यमका भयंकर रुप नहीं दीखता । N/A References : N/A Last Updated : January 01, 2002 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP