शुक्लैकादशी
( ब्रह्माण्डपुराण ) -
इसके शुद्धा, विद्धा और नियमादिका निर्णय यथापूर्व करनेके अनन्तर मार्गशीर्ष शुक्ल दशमीको मध्याह्नमें जौ और मूँगकी रोटी - दालका एक बार भोजन करके एकादशीको प्रातःस्त्रानादि करके उपवास रखे । भगवानका पूजन करे और रात्रिमें जागरण करके द्वादशीको एकभुक्त पारण करे । यह एकादशी मोहका क्षय करनेवाली है । इस कारण इसका नाम ' मोक्षदा ' रखा गया है । इसी दिन भगवान् श्रीकृष्णने अर्जुनको गीताका उपदेश किया था; अतः उस दिन गीता, श्रीकृष्ण, व्यास आदिकी पूजा करके गीता - जयन्तीका उत्सव मनाना चाहिये । गीतापाठ, गीतापर व्याख्यान आदि हो । सम्भव हो तो गीताका जुलूस भी निकालना चाहिये ।