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है कोई संत राम अनुरागी , ...

भजन - है कोई संत राम अनुरागी , ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


है कोई संत राम अनुरागी, जाकी सुरत साहबसे लागी ॥

अरस-परस पिवके सँग राती, होय रही पतिबरता ।

दुनियाँ भाव कछू नहिं समझै, ज्यों समुँद समानी सरिता ॥

मीन जाय करि समुँद समानी, जहँ देखै तहँ पानी ।

काल कीरका जाल न पहँचे, निर्भय ठौर लुभानी ॥

बावन चन्दन भौरा, पहुँचा, जहँ बैठे तहँ गन्धा ।

उड़ना छोड़के थिर ह्वै बैठा, निसदिन करत अनन्दा ॥

जन दरिया, इक राम-भजन कर भरम बासना खोई ।

पारस परसि भया लोहकंचन, बहुरि न लोहा होई ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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