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कुंभकर्ण

   
Script: Devanagari

कुंभकर्ण     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक राक्षस जो लंका के राजा रावण का भाई था   Ex. कुंभकर्ण छः महीने सोता था ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
कुंभकरण कुम्भकर्ण कुम्भकरण
Wordnet:
benকুম্ভকর্ণ
gujકુંભકર્ણ
kasکُمبھ کَرَن
kokकुंभकर्ण
malകുംഭകർണ്ണൻ
marकुंभकर्ण
oriକୁମ୍ଭକର୍ଣ୍ଣ
panਕੁੰਭਕਰਣ
tamகும்பகர்ணன்
urdکُمبھ کرن

कुंभकर्ण     

कुंभकर्ण n.  रावण का छोटा भाई । वैवस्वत मन्वंतर में, पुलस्त्यपुत्र विश्रवा ऋषि को कैकसी से उत्पन्न चार पुत्रों में दूसरा । भागवत के मत में, केशिनी इस की माता थीं। इसने जन्मते ही हजारों लोगों को खा डाला । तब इसकी शिकायत ले कर लोग इंद्र के पास गये । इंद्र ने क्रोधित हो कर इस पर वज्र फेंका । कुंभकर्ण हथ पैर पटक कर और भी गर्जना करने लगा । इस कारण लोगों को अधिक कष्ट होने लगे । इसने ऐरावत का एक दांत उखाडकर इंद्र पर फेंका, तथा इंद्र को रक्तरंजित कर दिया । ब्रह्मदेव को इस बात का पता चला । तब उन्होंने लोकसंरक्षणार्थ इसे सदा निद्रित रहने का शाप दिया । रावण की प्रार्थना पर, इसे छः माहों में एक दिन जागने का ब्रह्म ने उःशाप दिया [वा.रा.यु.६१] । कुबेर की बराबरी करने के लिये, रावणादि के साथ इसने भी गोकर्णक्षेत्र में दस हजर वर्षो तक तपस्या की । जब ब्रह्मदेव इसे वरदान देने लगे, तो देवों ने विरोध किया । देवों ने कहा, इसने नंदनवन के सात अप्सरायें, इन्द्र के दस सेवक, उसी प्रकार अन्य कई लोग तथा ऋषियों का भक्षण किया है । इसलिये इसे वर मत दो । देवों की इच्छा सफल हों, इसलिये ब्रह्मदेव ने सरस्वती को बुलाया तथा उसकेद्वारा कुंभकर्ण को उपदेश करवाया । तब इसने दीर्घकालीन निद्रा मांगी । ब्रह्मदेव ‘तथास्तु’ कह कर चला गया । पीछे यह पछताने लगा, परंतु उसका कुछ लाभ नही हुआ [वा.रा.उ.१०] । कुबेर की लंका रावण ने छीन ली । तब रावण के साथ यह भी लंका में गया । वहॉं जाने पर विरोचनपुत्र बलि की पौत्री वज्रज्वाला से इसका विवाह हुआ [वा.रा.उ. १२] । रावण ने अपने निद्राप्रिय बंधु के सोने की उत्कृष्ट व्यवस्था कर रखी थी । उसने विश्वकर्मा से चार कोस चौडा तथा आठ कोस लंबा एक सुंदर घर बनवाया । वहॉं यह सदैव निद्रिस्त पडा रहता था [वा.रा.उ.१३] । जागृत रहने पर, यह सभा में भी आता था । युद्ध होने के पहले बुलाई गई एक सभा में यह उपस्थित था । वहॉं सीताहरण के लिये इसने रावण का दोष दिया । फिर भी रावण से इसने कहा, “मैं भविष्य में सब प्रकार से तुम्हारी सहायता करुंगा [वा.रा.यु.१२] । तदनंतर अनेक योद्धाओं की मृत्यु के बाद, रावण अकेला ही राम से युद्ध कर रहा था । तब रावण का पराभव हुआ । रणांगण से वापस आने के बाद उसे अपने बंधु का स्मरण हुआ । उसने यूपाक्ष को कुंभकर्ण को जागृत करने के लिये भेजा । युद्ध के संबंध में प्राथमिक चर्चायें जिस सभा में हुई, वहॉं कुंभकर्ण उपस्थित था । तब से जो कुंभकर्ण सोया था, वह नौ महीने हो जाने पर भी सोया ही रहा । इसे जागृत करने लिये आये हुए लोगों ने, यह जागृत होते ही खाने के लिये मृग, महिष तथा वराह के बडे बडे ढेर इसके द्वार के पास रच दिये । अन्न की ढेरियॉं तैय्यार की । रक्त, मांस तैय्यार किया । चन्दन का लेप इसके शरीर को लगाया । सुगंधित द्रव्य सुंघाये । भयंकर आवाज की । फिर भी कुछ परिणाम नहीं हुआ । तब इसके वक्षस्थल पर प्रहार करना प्रारंभ किया । इसके कान में पानी डालना, काट खाना आदि प्रयत्न हुए । जब इसके शरीर पर हजार हाथी घुमाये, तब कहीं यह जागृत हुआ । जम्हाई की । धीरे से लोगों ने सारी वृत्त इसे कथन किया । तब यह तुरंत युद्ध करने कें लिये ही निकला । परंतु महोदर ने सुझाया कि, पहिले रावण की सलाह ले कर, फिर युद्ध के लिये जाना अधिक योग्य रहेगा । तब यह बंधु के पास गया । वहॉं इसने प्रथम रावण को ही उपदेश की चार बाते सुनायीं । परंतु रावण को यह उपदेश पसंद नहीं आया । तब रावण खुश हो, ऐसी बातें कहने का प्रारंभ इसने किया । महोदर ने सुझाया कि, यदि रावण की मृत्यु हो गई है, यों अफवाएं चारों ओर फैला दी, तो सीता स्वयं ही शरण आ जावेगी । तब कुंभवर्ण ने इस मार्ग का तिरस्कार किया तथा युद्ध का पुरस्कार किया । ये रणांगण में दाखल हुआ । इसका प्रचंड शरीर देख कर बंदरसेना भयभीत हो कर भागने लगी । परंतु सब को धीरज दे कर, अंगद ने एकत्रित किया । प्रथम इसने शूल से हनूमान को आहत किया । तब अपनी सेना कों नील ने धीरज बँधाया । ऋषभ, शरभ, नील तथा गवाक्ष को कुंभकर्ण ने खून की उलटी करवाई । बंदरों से भरे वृक्ष के समान कुंभकर्ण का शरीर दिखने लगा । कुंभकर्ण के द्वारा फेंका गया शूल अंगद ने बडी युक्ति से बचा लिया, तथा इसकी छाती पर प्रहार कर, इसे मूर्च्छित किया । होश में आते ही, अंगद को कुंभकर्न ने वेहोश किया । सुग्रीव को लेकर यह लंका की ओर चला गया । तब सुग्रीव ने इसके नाक, कान तोड दिये तथा वह राम के पास लौट आया । उस विद्रूप स्थिति में भी, यह लौट आया तथा इसने भयंकर युद्ध किया । अन्त में राम तथा लक्ष्मण के साथ युद्ध करते समय अर्धचन्द्र बाण से राम से इसके पैर तोड दिये । तब इसका भयंकर शरीर भूमि पर गिर पडा । फिर भी मुँह फैला कर राम की ओर सरकते हुए आने का यह प्रयत्न कर ने लगा । तब ऐन्द्रबाण से राम ने इसका वध किया [वा.रा.यु. ६०-६७] । रामायण के अनुसार इसका वध राम ने किया । परंतु महाभारत के अनुसार लक्ष्मण ने किया [म.व.२७१-१७] । इसका शरीर गिरने से लंका के अनेक गोपुर भग्न हो गये [म.व.२८६-८७] । इसे कुंभनिकुंभ नामक दो बलाढय पुत्र थे ।

कुंभकर्ण     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  लंकेचो राजा रावणाचो भाव आशिल्लो असो एक राक्षस   Ex. कुंभकर्ण स म्हयने मेरेन न्हिदता
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benকুম্ভকর্ণ
gujકુંભકર્ણ
hinकुंभकर्ण
kasکُمبھ کَرَن
malകുംഭകർണ്ണൻ
marकुंभकर्ण
oriକୁମ୍ଭକର୍ଣ୍ଣ
panਕੁੰਭਕਰਣ
tamகும்பகர்ணன்
urdکُمبھ کرن

कुंभकर्ण     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
The name of a drowsy Rákshas, the brother of Ráwan̤. Hence, appellatively. A sound sleeper, or a dull sleepyhead.

कुंभकर्ण     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  रावणाचा भाऊ   Ex. कुंभकर्णाला ब्रह्मदेवाने सहा महिने झोपून राहण्याचा वर दिला.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benকুম্ভকর্ণ
gujકુંભકર્ણ
hinकुंभकर्ण
kasکُمبھ کَرَن
kokकुंभकर्ण
malകുംഭകർണ്ണൻ
oriକୁମ୍ଭକର୍ଣ୍ଣ
panਕੁੰਭਕਰਣ
tamகும்பகர்ணன்
urdکُمبھ کرن

कुंभकर्ण     

 पु. १ रावणांचा भाऊ ; एक राक्षस . हा फार झोंपाळु होता त्यावरुन २ ( ल .) अत्यंत झोंपाळू माणुस ; गाढ व पुष्कळ वेळपर्यंतच्या झोंपेस कुंमकर्णी झोंप म्हणतात .

कुंभकर्ण     

कुंभकर्णाची जांभई
कुंभकर्ण हा अत्‍यंत आळशी म्‍हणून प्रसिद्ध आहे. त्‍यानें जांभई देण्याकरितां तोंड उघडले तर ते मिटण्याकरितांहि त्‍यास दीर्घ काल लागत असे, अशी समजूत आहे. यावरून एखादी दीर्घ काल घेणारी, लांबण लागणारी गोष्‍ट.

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