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मरीचि

   { marīciḥ, marīci }
Script: Devanagari

मरीचि

Puranic Encyclopaedia  | English  English |   | 
MARĪCI I   A Maharṣi (sage) born from Brahmā's mind.
1) Birth and Genealogy.
The six great sages born from Brahmā's mind were:--Marīci, Aṅgiras, Atri, Pulastya, Pulaha and Kratu, according to [Mahābhārata, Ādi Parva] .
2) Domestic life.
Marīci had several wives and children. He married Kalā, the daughter of Kardama Prajāpati by his wife Devahūti. Marīci had two sons Kaśyapa and Pūrṇiman by Kalā. This Kaśyapa was the original ancestor of all living beings. But Pūrṇiman's family did not become well-known. Pūrṇiman had two sons, Virajas and Viśvaga and a daughter Devakulyā. Devakulyā washed the feet of Mahāviṣṇu and merged with Ākāśa Gaṅgā. Ūrṇā was another wife of Marīci. Six sons were born to Ūrṇā. Under a curse of Brahmā they were born first as the sons of Hiraṇyakaśipu and in their next birth as the sons of Vasudeva and Devakī. It was these six children who were born as Śrī Kṛṣṇa's elder brothers whom Kaṁsa killed immediately after their birth. (See under Kṛṣṇa). Marīci had another wife named Sambhūti. She gave birth to Paurṇamāsa. In Viṣṇu Purāṇa, Part I, Chapter 10, we see that Paurṇamāsa who was a Mahātmā had two sons Virajas and Parvata. Dharmavratā was yet another wife of Marīci. She was a daughter born to Dharmavatī by Dharmadeva.
3) Dharmavratā cursed.
Marīci lived happily for long with his wife Dharmavratā. Once he returned from the forest, carrying darbha grass, flowers etc. He was tired after a long walk. After taking food, he wanted his wife to massage his legs. While she was massaging him Marīci fell asleep. Just then Brahmā happened to come there. Dharmavratā was in a fix. She had to attend to her husband and at the same time receive Brahmā with due respect. She could not leave her husband's guru (Sire). It was her duty to honour him properly. At last she got up and welcomed Brahmā, offering him the customary honours. Meanwhile Marīci woke up and not finding his wife near him cursed her to be turned into a stone. Dharmavratā who was distressed at the curse pleaded innocence and explained to him that she had been honouring his guru. She warned him that he would incur the curse of Śiva. Under Marīci's curse Dharmavratā was separated from him. She performed penance in the midst of fires. Mahāviṣṇu appeared before her and asked her what boon she wanted. She prayed that her curse might be lifted. Viṣṇu replied:--“It was Marīci who cursed you. That curse cannot be withdrawn. You will be turned into a sacred stone. Your name “Dharmavratā” will be changed into “Devavratā”. In future, that stone will become famous under the name “Devavratā” or “Deva- śilā”. Brahmā, Viṣṇu, Maheśvara and goddesses like Lakṣmī will dwell in that stone.” After saying this, Mahāviṣṇu disappeared. Once Dharmadeva held this Devaśilā above the demon Gaya and the place became famous under the name of “Gayā tīrtha”. (See under Gayātīrtha).
4) Other details.
(i) Marīci had participated in the celebration connected with Arjuna's birth. [M.B. Ādi Parva, Chapter 122, Verse 52] .
(ii) Marīci was a member of Indra's assembly. [M.B. Sabhā Parva, Chapter 7, Verse 17] .
(iii) Marīci attended the celebration connected with Subrahmaṇya's birth. [M.B. Śalya Parva, Chapter 45, Verse 10] .
(iv) After the Bhārata Yuddha, Marīci visited Bhīṣma who was lying on “Śara Śayyā” (bed of arrows). [M.B. Śānti Parva, Chapter 47, Verse 10] .
(v) [Mahābhārata, Śānti Parva, Chapter 334, Verse 35] , mentions that Marīci is a Prajāpati.
(vi) Marīci is one of the group of sages known as Citra- śikhaṇḍins. [M.B. Śānti Parva, Chapter 335, Verse 29] .
(vii) [Mahābhārata, Śānti Parva, Chapter 340, Verse 44] , describes Marīci as one of the Aṣṭaprakṛtis.
(viii) Marīci once visited Dhruva who was performing penance and gave him advice. [Viṣṇu Purāṇa, Part I, Chapter 11] .
MARĪCI II   A celestial woman. In [Mahābhārata, Ādi Parva, Chapter 122, Verse 62] we find that she attended a dance at the celebrations at the time of Arjuna's birth.
MARĪCI III   An author of Dharmaśāstra. His statements are quoted in Aparārkā, Smṛticandrikā, Mitākṣarā and other works.

मरीचि

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi |   | 
 noun  एक ऋषि   Ex. महाभारत के अनुसार मरीचि सप्तर्षियों में से एक हैं ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
मरीचि ऋषि
Wordnet:
benমরীচি
gujમરીચિ
kanಮಾರೀಚಿ
kasمرِیچی
kokमरिची
malമരീചിമഹര്‍ഷി
marमरीचि ऋषी
oriମରୀଚି ଋଷି
panਮਰਿਚਿ
tamமரிச்சி
urdمریچی , مریچی رشی
 noun  एक दैत्य   Ex. मरीचि का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
kasمریچی
kokमरीची
marमरीचि
panਮਰੀਚਿ
sanमरीचिः
urdمریچی
 noun  इंद्र के एक पुत्र   Ex. मरीचि का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
   See : प्रकाश, किरण

मरीचि

मरीचि n.  इक्कीस प्रजापतियों में से एक, जो स्वायंभुव मन्वन्तर में ब्रह्माजी के नेत्र से उत्पन्न हुआ था [म.आ.३२१.३३] । यह ब्रह्माजी की सभा में रह कर उनकी उपासना करता था [म.स.११.१४] । यह ब्रह्माजी का प्रथम पुत्र था । इसे विष्णु ने खङ्ग दिया था, जिसे इसने अन्य महर्षियों को दिया था [म.शां.१६०.६५] । यह दक्ष का जामाद तथा शंकर का साढू था । इसने शंकर का अपमान किया था, तब शंकर ने इसे भस्म कर डाला । दक्ष की कन्या संभूति इसकी पत्नी थी । इसे संभूति से पूर्णमास नामक पुत्र, तथा कृष्टि, वृष्टि, त्विषा तथा उपचिति नामक कन्याएँ हुई । पूर्णमास को सरस्वती से विरुज, पर्वश, यजुर्धान आदि पुत्र उत्पन्न हुए [ब्रह्मांड २.११] । भागवत के अनुसार इसकी दो पत्नियॉं थीं [भा.३.२४.२२] । उसमें से एक नाम कर्दमकन्या कला, तथा दूसरी का नाम ऊर्णा था । इसे कला से दो पुत्र हुए, एक कश्यप तथा दूसरा पूर्णिमा । ऊर्णा से इसे स्मर, उद्‌गीथ, परिष्वंग, क्षुद्रमृत तथा घृणी सन्ताने हुयीं [भा.१०.८५, ४७-५१] ;[दे. भा.४.२२] । अग्निष्वात्त नामक पितर भी इसका पुत्र था । वैवस्वत मन्वन्तर में ब्रह्मदेव ने इसे अग्नि से पैदा किया था । उस समय इसे कश्यप नामक पुत्र एवं सुरुपा नामक कन्या हुयी थी । यह इसका पुत्र कश्यप, एवं अवत्सार, असित, नैध्रुव, नित्य तथा देवल ये कश्यप कुलके सात मंत्रद्रष्टा थे (मत्स्य.१४४, कश्यप देखिये) । यह प्रजापति भी था [वायु.६५.६७] । इन्द्रप्रस्थ में सात तीर्थो में स्नान करने के कारण, इसे सात पुत्र हुए थे [पद्म.उ.२.२२] । महाभारत के अनुसार, ‘चित्रशिखण्डी’ कहे जाने बाले ऋषियों में से यह भी एक था । यह आठ प्रकृतियों में भी गिना जाता है [म.शां.३२२.२७] । यह शरशय्या पर पडे हुए, भीष्म के पास मिलने गया था, एवं अर्जुन के जन्मोत्सवमें भी उपस्थित था ।
मरीचि II. n.  एक धर्मशास्त्रकार, जिसके मतों के उद्धरण मिताक्षरा, अपरार्क, स्मृतिचन्द्रिका आदि ग्रंथों में प्राप्त है । उन ग्रंथों में निम्नलिखित विषयों पर, मरिचि के मतों को उद्‌धृत किया गया हैः---आह्रिक, अशौच, श्राद्ध, प्रयाश्चित्त एवं व्यवहार । अपरार्क ने मरीचि के द्वारा लिखित तर्पण के संबंधित एक श्लोक उद्‌धृत किया है, जिसमें रविवार के दिन तर्पण करने का माहात्म्य बताया गया है [अपरार्क.१३२, २३५] ;[स्मृतिचं. आन्हिक. पृ.१२३] । मरीचि ने विधान प्रस्तुत करते हुए कहा है कि, श्रावण भाद्रपद में नदी में स्नान न करना चाहिए [अपरार्क.,पृ.२३५] । अपरार्क ने अशौच के सम्बन्ध में मरीची का एक उद्धरण दिया है, जो गद्य में है [अपरार्क.९०८]
मरीचि II. n.  मरीचि अचल संपत्ति के बारे में अपना मत देते हुए कहता है, ‘अचल सम्पत्ति यदि दूसरे के हात बेचना है, खरीदना है, दान में देना है अथवा उसका बटवॉंरा करना है, तो यह आवश्यक है कि, किये गये सारे वैधानिक कार्य मौखिक न होकर लिखित होने चाहिए । तभी वे नियमानुकूल है, अन्यथा नही [परा.मा.३.१२८] ;[स्मृति.चं.६०] । अगर किसी व्यक्ति ने अधिकारियों की सम्भति से किसी व्यापारी की कोई सम्पत्ति खरीदी, तथा बाद को पता चला कि, व्यापारी द्वारा बेची गयी संपत्ति किसी अन्य की थी, तब उसे उस व्यापारी से उसका पैसा कानून से वापस मिल जायेगा । अगर वह व्यापारी रुपये ले कर लापता हो गया है, तब संपत्ति के खरीददार एवं असली माली के बीच में ले दे कर समझौता कर देना चाहिए’ [अपरार्क.७७५]
मरीचि II. n.  मरीचि के द्वारा मानसिक व्याधियों (आधि) के चार प्रकार बताये हैः---भोग्य, गोप्य, प्रत्यय एवं अज्ञात ।
मरीचि III. n.  एक ज्योतिषशास्त्रज्ञ, जिसका निर्देश नारदसंहिता में प्राप्त है ।
मरीचि IV. n.  (स्वा.प्रिय.) एक राजा, जो वृषभदेव के वंश में उत्पन्न सम्राज नामक राजा का पुत्र था । इसकी माता का नाम उत्कला था । इसके पत्नी का नाम बिन्दुमती था, जिससे इसे बिन्दुमत नामक पुत्र हुआ ।
मरीचि V. n.  एक अप्सरा, जो अर्जुन के जन्मोत्सव में उपस्थित थी [म.आ.११४.४२]
मरीचि VI. n.  एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था ।

मरीचि

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi |   | 
 noun  एक दैत्य   Ex. मरीचिचे वर्णन पुराणांत आढळते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
मरीचि दैत्य मरीचि राक्षस
Wordnet:
kasمریچی
kokमरीची
panਮਰੀਚਿ
sanमरीचिः
urdمریچی
 noun  इंद्रचा एक पुत्र   Ex. मरीचिचे वर्णन पुराणांत आढळते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)

मरीचि

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English |   | 
मरीचि  m. mf. (m. only in [TĀr.] ; prob. connected with मरु॑त्q.v.) a particle of light, shining mote or speck in the air, [RV.] ; [AV.]
   ray of light (of the sun or moon), [RV.] &c. &c.
सोमस्य  f. (also °ची; f. with = moonlight, [Hariv.] )
मरीचिका   a mirage (= ), [Kathās.] (cf.मरीचि-तोय)
मरीचि  m. m.N. of a प्रजा-पति or ‘lord of created beings’ (variously regarded as a son of स्वयम्-भू, as a son of ब्रह्मा, as a son of मनुहैरण्यगर्भ, as one of the 7 sages and father of कश्यप, or accord. to [Mn. i, 35] as the first of the ten प्रजा-पतिs [q.v.] engendered by मनुस्वायम्भुव), [Mn.] ; [MBh.] &c.
   of the star η in the great Bear, [VarBṛS.]
   of कृष्ण (as a मरुत्), [Bhag. x, 21]
   of a दैत्य, [Hariv.]
   of a महर्षि, [Daś.]
   of the father of पौर्णमास, [Pur.]
   of a king (son of सम्राज् and father of बिन्दु-मत्), ib.
   of a son of तीर्थं-करऋषभ, [W.]
   of a son of शंकराचार्य and various other teachers and authors, [Cat.]
कृपण   a miser, niggard (= ), [L.]
मरीचि  f. f.N. of an अप्सरस्, [MBh.]
   of a Comm. on [Siddhântaś.]

मरीचि

The Practical Sanskrit-English Dictionary | Sanskrit  English |   | 
मरीचिः [marīciḥ]   (Rarely मरीची also) m. f. [मृ-ईचि [Uṇ.4.7] ]
   A ray of light; न चन्द्रमरीचयः [V.3.1;] सवितुर्मरीचिभिः [Ṛs.1.16;] [R.9.13;13.4.]
   A particle of light.
   Light.
   Mirage.
   A spark of fire; मरीच्य इव निष्पेतु- रग्नेर्धूमाकुलार्चिषः [Rām.1.56.18.]
   चिः N. of a Prajāpati, one of the ten patriarchs created by the first Manu, or one of the ten mindborn sons of Brahman; he was father of Kaśyapa.
  N. N. of a lawgiver.
  N. N. of Kṛiṣṇa.
   A miser. -Comp.
-गर्भ a.  a. containing particles of light (N. of a world).
-तोयम्   a mirage; मरीचितोयान्यभिधावति क्वचित् [Bhāg.5.13.5.]
-प a.  a. drinking in particles of light; वैखानसा वालखिल्याः संप्रक्षाला मरीचिपाः (तापसाः) [Rām.3.6.2.]
-मालिन् a.  a. encircled by rays, radiant, shining. (-m.) the sun.

मरीचि

Shabda-Sagara | Sanskrit  English |   | 
मरीचि  m.  (-चिः)
   1. A saint, the son of BRAHMĀ, and one of the Pra- jāpatis, and Brahmādikas, or first created beings, and sovereigns of the world.
   2. A niggard, a miser.
  mf.  (-चिः) A ray of light.
   E. मृ to perish, (darkness,) Unādi aff. ईचि .
ROOTS:
मृ ईचि .

मरीचि

संस्कृतम् (Sanskrit) WN | Sanskrit  Sanskrit |   | 
   See : सूर्यः

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