भाद्रपद शुक्लपक्ष व्रत - श्रीराधाष्टमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


श्रीराधाष्टमी

( बृहन्नारदीय पुराण पू० अध्याय ११७ ) भाद्रपद शुक्ला अष्टमीको जगज्जननी पराम्बा भगवती श्रीराधाका जन्म हुआ था, अतएव इस दिन राधा - व्रत करना चाहिये । स्त्रानादिके उपरान्त मण्डपके करे । उसके ऊपर ताँबेका पात्र रखे । उस पात्रके ऊपर दो वस्त्रोंसे ढकी हुई श्रीराधाकी सुवर्णमयी सुन्दर प्रतिमा स्थापित करे । फिर वाद्यसंयुक्त षोडशोपचारद्वारा स्नेहपूर्ण हदयसे उसकी पूजा करे । पूजा ठीक मध्याह्नमें ही फिर दूसरे दिन भक्तिपूर्वक सुवासिनी स्त्रियोंको भोजन कराकर आचार्यको प्रतिमा दान करे । तत्पश्चात् स्वयं भी भोजन करे । इस प्रकार इस व्रतको सपाप्त करना चाहिये । विधिपूर्वक राधाष्टमीव्रतके करनेसे मनुष्य व्रजका रहस्य जान लेता तथा राधा - परिकरोंमें निवास करता है ।

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Last Updated : January 21, 2009

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