भाद्रपद शुक्लपक्ष व्रत - पालीव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


पालीव्रत

( भविष्यपुराण ) -

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशीको चारों वर्णकी कोई भी कुलवधू किसी जलपूर्ण बड़े तालाब आदिपर जाकर एक चौकीपर अक्षतादिका मण्डल बनाकर उसपर वरुणकी मूर्ति या वारुण यन्त्र लिखे । फिर उसका गन्ध, पुष्पादिसे पूजन करके

' वरुणाय नमस्तुभ्यं नमस्ते यादसां पते । अपां पते नमस्तुभयं रसानां पतये नमः ॥'

से अर्घ्य दे और

' मा क्लेदं मा च दौर्गन्ध्यं वैरस्यं मा मुखेऽस्तु मे । वरुणो वारुणीभर्ता वरदोऽस्तु सदा मम ॥'

से प्रार्थना करके ब्राह्मणोंको भोजन करावे और अग्निपक्क अन्नका स्वयं भोजन करे ।

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Last Updated : January 21, 2009

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