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अक्ष् (perhaps a kind of old Desid. of √ 1.अश्) cl. 1. 5. अक्षति, अक्ष्णोति ( [Pāṇ. 3-1, 75] ; fut. अक्षिष्यति or अक्ष्यति, [L.] ; aor. आक्षीत्, 3. du. आक्षिष्टाम् or आष्टाम्, [L.] ; perf. आनक्ष [ [Pāṇ. 7-4, 60] Comm. ], but Ā. p. [with the Vedic weak stem आक्ष्cf. perf. आश्-उः 3. pl. &c. fr. √ 1.अश्] आक्षाण॑),; to reach, [RV. x, 22, 11] ; to pass through, penetrate, pervade, embrace, [L.] ; to accumulate (to form the cube?), [L.] : Caus. अक्षयति, आचिक्षत्, to cause to pervade, [L.] : Desid. अचिक्षिषति or अचिक्षति, [L.] अक्ष्णुते , अक्ष्णुयात्, (also) to mark ( esp. cattle on the ear)
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